Monday 21 June 2021

कबाबचीनी

 


भारतीय मसालों का अदभुत संसार है। खुशबू, रंगत से लेकर स्वाद बढ़ाने में इन्ही छुपे रुस्तमों का हाथ होता है। मसाले न हों तो दावत ज्यौनार का आधे से अधिक रुतबा फ़ीका पड़ जाये। हमारे मसाले सिर्फ व्यंजनों की आब और ज़ायका ही नहीं बढ़ाते बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहते हैं न कि , “ दवा के साथ दुआ ही काम आती है। ” ये मसाले उन्हीं दुआओं में शामिल होते हैं।

इससे पहले हम लोगों ने स्याह जीरे की बातचीत का विषय बनाया था। आज चर्चा में है “ कबाबचीनी ”

शीतलचीनी या कबाबचीनी एक प्रकार का बीज है।इसका पौधा पान के पत्तों की तरह दिखता है। यह पौधे विभिन्न व्यंजनों के लिए काली मिर्च, लौंग की तरह उपयोग किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पाइपर क्यूबेबा (piper cubeba) है, जो पाइपरेसिई (piperaceae) प्रजाति का एक पौधा है। इस पौधे का फल छोटे से आकार का होता है। यह देखने में काली मिर्ची के समान होती है। कच्चे रूप में तोड़कर इसे सुखाया जाता है। इसे मुँह में रखने पर ठंडा ठंडा सा महसूस होता है, इसलिए इसे शीतलचीनी भी कहते हैं। 

हिंदी में शीतलचीनी, कबाबचीनी, संस्कृत में कंकोलंं,  मराठी में कंकोल, गुजराती में तड़मिरे, चणकबात ,  बंगला में कोकला, शीतलचीनी, तेलुगू में टोकामिरियालू, कबाबचीनी, तमिल में वलमिलाकू, मलयालम में चीनीमुलक, कन्नड़ में गंधमेणसु, बालमेणस, फारसी- कबाबचीनी, अंग्रेजी में क्यूबेब,  लैटिन- पाइपर क्यूबेबा कहते हैं।

इसका उपयोग भारत में सूप और सॉस के अलावा विशेष रूप से मांसाहारी व्यंजनों को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है। मुगलई व्यंजनों में आने वाली भीनी-भीनी सुगंध कबाबचीनी के कारण भी होती है।

कबाबचीनी आमतौर पर लोक चिकित्सा और घरेलू उपचार के हिस्से के रूप में भी उपयोग की जाती है। 

अपना गला साफ़ करने के लिए गायक इसे चबाते हैं।

कबाबचीनी में एंटीइन्फलमेटरी, एरोमेटिक, डाइयूरेटिक, एक्सपेक्टोरेंट, कार्मिनेटिव, एंटीमाइक्रोबियल, एनल्जेसिक, एंटी अस्थमैटिक और स्टीमुलेंट प्रॉपर्टिज होती हैं। यह हमें कई बीमारियों से निजात दिलाती है। इसमें क्यूबिक एसिड होता है, जिसका यूरीनरी और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर प्रभाव पड़ सकता है। 

कबाबचीनी के निम्नलिखित व्याधियों में सहायक होती है :-

थकान को दूर करती है, मुँह में आने वाली दुर्गंध दूर करती है, बुखार में आराम दिलाती है, सिरदर्द से राहत देती है, डिसेंटरी,अस्थमा, हेफीवर, पेट से सम्बंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक होती है, अपच, गले में खराश, सर्दी-जुखाम में आराम पहुँचाती है।

पेट या आंत में सूजन या इंफेक्शन होने पर कबाबचीनी को इन दोनों ही स्थिति में लेना हानिकारक हो सकता है इसलिए पेट और आंत में सूजन या इंफेक्शन होने पर इसका सेवन न करें।

किडनी से जुड़ी बीमारी होने पर भी इसे न खायें।

अगर आप किसी दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो शीतलचीनी का सेवन करने से दवा के असर पर प्रभावित हो सकता है। जैसे :-

निम्नलिखित दवाओं के साथ शीतलचीनी का उपयोग न करें :-

Pepcid, Zantac, Tagamet

यह एसिडिटी कम करने की दवाएँ हैं। एंटासीड्स का इस्तेमाल पेट में बनने वाले एसिड को कम करने के लिए किया जाता है। कबाबचीनी का प्रयोग करने से पेट में एसिड बन सकता है। ऐसे में एंटासीड्स के साथ कबाबचीनी का उपयोग करने से दवा का असर प्रभावित होगा।

H2  Blockers दवाएं जो पेट में बनने वाले एसिड को कम करती हैं उनके साथ कबाबचीनी न लें। यह पेट में एसिड बढ़ाती है। इस हर्ब को लेने से दवा का असर प्रभावित होगा।

इसके बारे में अधिक जानने के लिए अपने चिकित्सक या हर्बलिस्ट से अवश्य सम्पर्क करें।

8 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (२७-0६-२०२१) को
    'सुनो चाँदनी की धुन'(चर्चा अंक- ४१०८ )
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. बहुत ज्ञानवर्द्धक पोस्ट है . मैंने पहली बार सुना है इसका नाम तो जरूर ट्राई करूँगी…धन्यवाद

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  3. बहुत विस्तृत जानकारी देती उपयोगी पोस्ट।
    कबाब चीनी जिसे प्रयोग करते रहें हैं पर इतनी गहराई से कभी नहीं समझा इसे।
    बहुत ज्ञानवर्धक जानकारी।

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  4. बहुत ही अच्छा और ज्ञानवर्धक आलेख कबाब चीनी के बारे में कई और नई जानकारिया मिली।
    बहुत ही सुंदर सराहनीय।
    सादर

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  5. सुंदर जानकारी

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