Wednesday, 14 July 2021

पत्थर के फूल

 



हमने चर्चा की थी “ मसाला सीरीज ” में कबाबचीनी, स्याह जीरा और स्टार एनीज की। उसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं “ पत्थर के फूल ” की।

पुरानी दीवारों,खंडहरों में और पत्थरों पर बरसात के दिनों में छोटे-छोटे पौधे अपनेआप उग आते हैं। ये देखने में फूल जैसे लगते हैं। इसी कारण इन्हें शिलापुष्प भी कहते हैं। 

यह एक प्रकार की वनस्पति/ लाइकेन ही है। इसके पीछे वाला भाग काला-स्लेटी रंग का और नीचे का भाग सफेद रंग का होता है।

दगड़ फूल में अनेक गुण हैं। इसमें एन्टी इंफ्लेमेटरी, एन्टी फंगल, एन्टी बैक्टरियल, एन्टीइंफ्लेमेट्री, एन्टी वायरल और एन्टी माइक्रोबियल गुण होते हैं। 

यह औषधि फूल होने के साथ साथ गरम मसलों में प्रयोग किया जाने वाला मसाला हैं। 

यह फूल स्वयं ही किसी भी पुरानी दीवार या खाली पथरीली भूमी पर उग जाता हैं। पत्थरों पर या पठारों पर उगने की इस पठार पुष्प, योग्यता के कारण कल्पासी भी कहते हैं। अँग्रेजी में इसे ब्लैक स्टोन कहते हैं।

इसकी अच्छी खुशबू के कारण इसे मसालों, सूप, सब्जियों आदि में स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। 

यह कई तरह की बीमारियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह किडनी की पथरी के अलावा गुप्त रोगों के निदान के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

छरीला या दगड़ फूल का वानस्पतिक नाम Parmelia perlata है, और यह Parmeliaceae  कुल का है। 

छरीला को देश या विदेशों में अन्य कई नामों से भी जाना जाता है ...

हिंदी में इसे छरीला, भूरिछरीला, पत्थरफूल कहते हैं।

संस्कृत में शैलेय, शिलापुष्प, वृद्ध, कालानुसार्यक, अश्मपुष्प, शीतशिव कहते हैं।

अंग्रेजी में स्टोन  फ्लावर के अलावा येलो लाइकेन, लिथो लाइकेन , लाइकेन भी कहते हैं।

उर्दू में इसे हबाक्कारमनी, रीहानकरमनी कहते हैं।

कनड़ में कल्लूहूवु , गुजराती में घबीलो, पत्थरफूला, छडीलो कहते हैं।

तामिल में कल्पासी, कलापु व तेलगू में शैलेय मनेद्रव्यमु, रतिपंचे , मलयालम में सेलेयाम व कलपुवु कहते हैं।

बंगाली में शैलज , नेपाली में भन्याऊ , पंजाबी में चालचालीरा , मराठी में दगड़ फूल कहते हैं।

आजकल गार्डन डिजायनर पत्थर के फूल से प्रेरणा पाकर पत्थरों पर पौधे उगाने लगे हैं जो सफल भी साबित हो रहा है। पत्थरों में झिलमिलाते पौधे न केवल दिखने में सुंदर होते हैं बल्कि उनकी देखभाल भी मजेदार लगती है।

पत्थरों के अलावा ये पत्थर के फूल बड़े वृक्षों के तने की छाल पर भी उग आते हैं। यह बिलकुल पतले और कुरकुरारे से फूल जैसी आकृति के होते हैं।

मुगलई व्यंजन विशेषकर मटन में इस प्रयोग खूब होता है। शाकाहारी व्यंजनों में भी रिच ग्रेवी वाली डिश में भी यह प्रयोग में आता है। गरम मसाला बनाते समय इसे भी शामिल किया जाता है।

इसको मसाले में प्रयोग के लिए 4,5 घण्टे धूप दिखा कर पाउडर किया जाता है। डिश में पकाते समय डालने के लिए ऑयल या घी में इसका तड़का तैयार किया जाता है जिससे इसकी खुश्बू और स्वाद आये।

अर्थराइटिस जो वात जनित मर्ज है, उसके इलाज में दगड़ फूल सहायक होते हैं। वात दोष के कारण अर्थराइटिस के मरीजों की तकलीफ हड्डियों और जोड़ों में ड्राईनेस बढ़ जाती है और बहुत दर्द होता है। अपने तैलीय गुण के कारण दगड़ फूल उस ड्राईनेस को कम करता है जिससे तकलीफ कम होती है।

इस्तेमाल किडनी की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके सेवन से किडनी में होने वाली पथरी तथा पेशाब से संबंधित दिक्कते कम हो जाती हैं। दगड़ फूल के सेवन से किडनी की पथरी का बनना रुक जाता हैं।

पाचन तथा पेट से संबंधित दिक्कतों को दूर करने के लिए अपने आहार में नियमित रूप से दगड़ फूल का किसी न किसी रूप में सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है तथा पेट से जुडी समस्याओं से भी राहत मिलती हैं।

जिन लोगों की त्वचा बहुत ही सेंसेटिव होती है, उनको ख़ास कर अपनी स्किन की रक्षा करने के लिए अपनी डाईट में दगड़ फूल को अवश्य शामिल करना चाहिए।

इसके एन्टी बैक्टेरियल गुण के कारण त्वचा रोगों में आराम मिलता हैं। त्वचा पर लाल चकत्ते, खाज-खुजली, रैशेस या किसी प्रकार से त्वचा इन्फेक्ट हो रही है, तो दगड़ फूल का सेवन करने से आराम मिलता हैं।

दगड़ फूल में एंटी- इंफ्लेमेंट्री गुण होने के कारण ही कई लोगों का मानना हैं कि इसके सेवन से कैंसर जैसी बीमारी से बचाव हो सकता है।

सूजन या दर्द की समस्या में राहत मिलती है क्योंकि दगड़ फूल में एंटी फंगल, एंटी- बैक्टेरियल, एंटी-वायरल और एन्टी माइक्रोबियल गुण के कारण सूजन और दर्द में राहत मिलती है।

7 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१७-०७-२०२१) को
    'भाव शून्य'(चर्चा अंक-४१२८)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  2. अहम जानकारियों से परिपूर्ण आलेख...।

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  3. बहुत सुंदर लेख।

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  4. बढ़िया जानकारी देता लेख ।

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  5. रगड़ फूल पर विस्तृत जानकारी देने के लिए बहुत बहुत आभार।
    सुंदर जानकारी युक्त उपयोगी पोस्ट।

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  6. "दगड़ फूल" पढ़े कृपया

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  7. बेहतरीन जानकारी देता पोस्ट,सादर

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