Thursday 15 July 2021

Love in mist / कलौंजी










 Love in a mist जो Devil in a bush के नाम से भी जाना जाता है, हमारी रसोई में अपना मुख्य स्थान रखता है। तेल वाला आम का अचार हो या सोंधी मट्ठी अथवा भरवां करेला, भिंडी अथवा नान या कुलचा बिना इसके अधूरा होता है। आमतौर पर इसे कलौंजी या मंगरैल कहते हैं।

कलौंजी Ranunculaceae family का पौधा है जिसे अँग्रेजी में Nigella कहते हैं।

इसके अन्य नाम हैं काला जीरा, काला बीज, आशीष के बीज, नल्ला जीराकारा ( तेलुगु ),  करीम जिरकम ( मलयालम ),  मंगरेला या कल्ला कल्ला के दाने ( मराठी ), बंगला में कालाजीरो ,  करुण जिरागम ( तमिल )।

कलौंजी को बहुत सारे लोग प्याज का बीज समझते हैं, जोकि गलत है। कलौंजी प्याज के बीज नहीं हैं। कलौंजी और प्याज के बीज दोनों अलग प्रजाति हैं। सिर्फ रंग और आकार कुछ मिलता जुलता होता है। प्रथम दृष्टि में देखने से इसे लोग प्याज का बीज समझने की भूल कर देते हैं।

आयुर्वेद में कलौंजी को कलयुग की संजीवनी बूटी कहते हैं।अगर सही तरीके से इसका सेवन किया जाए तो इससे भयानक से भयानक बीमारी ठीक हो सकती है। 

कलौंजी सर्दी-जुकाम,डायबिटीज, बाल झड़ने की समस्या, हार्ट की व्याधि में, पिंपल्स दूर करने, वजन कम करने में मददगार होती है।

यदि कलौंजी को सुबह गुनगुने पानी के साथ नियमित खाया जाये तो एसिडिटी और डायबिटीज में राहत मिलती है। साथ ही पिम्पल्स की समस्या में भी आराम आता है।

कलौंजी का नियमित प्रयोग स्मरण शक्ति बढ़ाता है।

कलौंजी अस्थमा और जोड़ों के दर्द में राहत देती है।

कलौंजी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होते हैं।

अगर आपको कफ की समस्या है तो कलौंजी के तेल का इस्तेमाल आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा और कलौंजी को गर्म करके पोटली में रखकर सूंघने से बन्द नाक खुल जाती है।

कलौंजी ब्लड प्योरिफायर का भी काम करती है।

कलौंजी का तेल में ऑलिव ऑयल और मेंहदी पाउडर को मिलाकर गर्म करें और  जब यह मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसे किसी शीशी में बंद करके रख दीजिए। इस तेल से सप्ताह में दो बार मसाज करने से गंजेपन की समस्या में राहत मिलती है।

कलौंजी की राख को ऑलिव ऑयल में मिलाकर मसाज करने से नए बाल आना शुरू हो जाते हैं व उनकी ग्रोथ इम्प्रूव कर जाती है।

कलौंजी का तेल बाल/केश का गिरना कम करता है।

अब आइए सिक्के के दूसरे पहलू को भी जान लें।

कलौंजी के यदि अनेक फायदे हैं तो कुछ नुक़सान भी हैं। अतः ‘  नीम हक़ीम ख़तरे जान ’ को याद रखते हुए उन नुकसानों के विषय में भी जान लें।

गर्भवती स्त्री को कलौंजी नुकसान पहुँचा सकती है। अतः इसके विषय में अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

कलौंजी में थाइमोक्विनोन पाया जाता है। यह रक्त में क्लॉटिंग करता है। अतः हार्ट के मर्ज वाले बिना चिकित्सक की सलाह व अनुमति के इसे न खायें।

अगर आपको हाइपर एसिडिटी है , पित्त अधिक बनता है, गर्मी अधिक लगती है, पेट में जलन होती है तो कलौंजी नहीं खानी चाहिए।

मासिक धर्म की समस्या होने पर भी इसका प्रयोग वर्जित है।

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