Friday 28 May 2021

Superfood Cookies


Superfood की हर किसी की अपनी परिभाषा और अपनी समझ होती है। मेरी नज़र में सुपरफ़ूड वो खाद्य पदार्थ हुआ जो पौष्टिकता से भरपूर हो और यथासंभव उगाया हुआ अर्थात पादप जगत का सदस्य हो। सबसे अच्छे सुपरफूड होते हैं बीज, मेवा, हरे पत्ते वाले साग, हरी सब्जियाँ, हर तरह की बेरी, पपीता। यह सुपरफूड विटामिन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। ये ग्लूटेन विहीन होते हैं।

Oats Cookies एक सुपरफूड है। पूर्णतः vegan है और पौष्टिकता से भरपूर है। इसमें कद्दू के , सूरजमुखी के फ्लैक्स के बीज, सफेद तिल आदि सभी अपार ऊर्जा का स्त्रोत हैं।

आइए बनायें सुपरफूड कूकीज .....

सामान चाहिए :

आटा        - 1 कप
Oats       - 1 कप chips/ rolled oats
काजू + 
बादाम+ 
अखरोट     - 1/2कप कटे हुए
सूरजमुखी के बीज -1/4 कप 



कद्दू के बीज          - 1 tbsp     
सफेद तिल            _- 1 tbsp
चिया सीड             - 2 tbsp
करौंदा लाल वाला   - 2 tbsp, सूखे टुकड़े 
दालचीनी पाउडर    - 1 tsp
नमक                    - 1/4 tsp
गुड़     - 1 कप, पाउडर किया हुआ
मेपल सिरप    - 2,3 tbs,अथवा 
शहद             - 3 tbsp
बेकिंग पाउडर - 1tsp
Nut butter  - 1/2 कप 
दूध                - 2 tbsp

अब थोड़ी सी एक्सरसाइज कर लें ...

Nuts और seeds को रोस्ट कर लीजिए।
गुड़ पाउडर को कम से कम 2 बार छान लें।
गुड़ और रूम टेम्परेचर पर रखा नट बटर अच्छी तरह फेंट लें।
आटा, नमक, बेकिंग पाउडर तीन बार छान लें।
आटे में oats, nuts, seeds, दालचीनी पाउडर, इलायची पाउडर मिला लें।
अब इसमें गुड़ व मक्खन मिलाएँ।
मेपल सिरप या शहद मिलाएँ।
सारी सामग्री अच्छी तरह आटे की तरह गूंध लीजिये।
आवश्यकतानुसार दूध मिलाइये।



इनके छोटे बॉल बनाइये।



बटर पेपर वाली बेकिंग ट्रे में रखकर हाथ से फ्लैट कर दें।





250℃ पर ओवन को 10 मिनट प्रीहीट कीजिये और कुकीज की ट्रे को ओवन में लगाइए और 20 से 25 मिनट तक बेक कीजिये।

Wire rack पर निकाल कर ठंडा कीजिये।




Power-packed Superfood Cookies खुद भी खाइये और सबको खिलाकर तारीफ पाइए।

Sunday 23 May 2021

गोलगप्पा रे ! सुन तेरी कहानी ...

 


लखनऊ का भीड़भाड़ वाला अमीनाबाद,सबसे पुराना चौक बाजार हो, या नफ़ीस बाज़ार हज़रतगंज हो, पूरे लखनऊ में चाट की शानदार उपस्थिति पाई जाती है। आलू की गरमागरम टिकिया, नींबू वाली मटर, दही चटनी के बताशे और गोलगप्पे सबको दीवाना बनाये रखते हैं। कहते हैं स्त्रियाँ तो चाट की शौकीन होती ही हैं पर पुरुषों को भी चाट के ठेले हों या दुकान मैंने खूब चाट खाते देखा है। गोलगप्पों के ठेले तो राह चलते भी हर जगह मिल जायेंगें।


गोलगप्पा मूलतः उर्दू का शब्द है। विभिन्न प्रान्तों में यह अलग-अलग नाम से जाना जाता है। गोलगप्पे को पानी का बताशा, फुल्की, पुचके,फुचके, पानीपूरी, गुपचुप आदि भी कहते हैं। इन गोलगप्पों में कहीं आलू या काला चना या दोनों भरा जाता है तो कहीं सफेद मटर। मटर या आलू या चने भर कर स्वादिष्ट पानी भरा जाता है जिसके ऊपर ही गोलगप्पों की उत्कृष्टता निर्भर करती है।

इन गोलगप्पों में भरा जाने वाला पानी हर प्रान्त में बनाने का ढंग बदलता है। अब तक कोलकाता में सबसे अधिक 17 तरीके का पानी बनाया जाता है।

गोलगप्पों के जन्म के विषय में मुख्य रूप से दो कथाएँ प्रचलित हैं। आइए आपको भी सुनाते हैं वे कहानियाँ ...

बादशाह जहांगीर ने दिल्ली में चांदनी चौक फव्वारा नहरें बनवाई  थी जो यमुना का पानी किले तक पहुँचाती थी। शाहजहानाबाद के निवासी उस पानी को पीते थे। किसी कारण वह पानी गन्दा हो गया जिससे लोग बीमार पड़ गए। शाहजहां की बेटी राजकुमारी रौशनआरा ने शाही हक़ीम को रियाया के इलाज के लिए कोई दवा तैयार करने का आदेश दिया। हक़ीम साहब के नुस्ख़े से लोग स्वस्थ हो गए। उस दवा का स्वाद लोगों को बहुत जायकेदार लगा। फिर क्या था लोग नियमित नुस्ख़ा बनाने लगे। इस नुस्ख़े में आटे की छोटी-छोटी सख़्त पूरी बनाकर उस नुस्ख़े के पानी को भर कर खाया जाने लगा। इस तरह गोलगप्पे का हमारी दुनिया में जन्म हुआ।

दूसरी कहानी महाभारत से आई है। 
कुंती ने अपनी बहू द्रौपदी को रसोई बनाने के लिए बहुत थोड़ा सा आटा और आलू दिए। द्रौपदी चिन्ता में पड़ गयीं। बड़ी सूझबूझ के साथ द्रौपदी ने उस आटे से छोटी-छोटी पूरी बनाईं और उसके अंदर आलू व मसालेदार पानी भरकर अपने पांचों पतियों की भूख मिटाई। इस प्रकार फुल्की का जन्म हुआ।

गोलगप्पे बनाने में दो तरीके अपनाए जाते हैं- सूजी और मैदे के गोलगप्पे अथवा आटे के गोलगप्पे।

आटे के गोलगप्पों के लिए आटे का सख़्त आटा गूँधते हैं और गोलगप्पे धीमी आँच पर कुरकुरारे तल लेते हैं।

सूजी और मैदे से गोलगप्पे बनाने के लिए ...
सूजी - 1 कप 
मैदा  - 1/4 कप 
मिलाकर सख़्त आटा गूंध कर गीले कपड़े से ढ़ककर कम से कम 15 मिनट के लिए रख दें।
फिर बड़ी रोटी बेल कर उसमें से छोटे गोलगप्पे काट लें अथवा सीधे ही मनपसंद साइज के गोलगप्पे बेल कर धीमी आँच पर कुरकुरारे तल लें।

रात भर भीगी सफेद मटर नमक के साथ कम पानी डालकर उबाल लें।
ठंडी हो जाने पर बारीक कटा हरा धनिया मिला लें।

अब आइए गोलगप्पों के लिए मुख्य चीज अर्थात उसमें भरा जाने वाला पानी तैयार करें। 

तीखा, खट्टा पानी बनाने के लिए :
पुदीना।      - 1/4 कप
धनिया।     - 1/2 कप
अदरक।     - 1/2 इंच टुकड़ा 
हरी मिर्च।   - 2
इमली         - 1/2 कप, पल्प
चाट मसाला - 1-1/2 tsp
जीरा पाउडर - 1 tsp
हींग              - एक चुटकी 
नमक            - स्वादानुसार 
पानी             - 4 कप, ठंडा

पुदीना, धनिया, हरी मिर्च, अदरक, हींग, जीरा पाउडर, चाट मसाला और इमली का पल्प बारीक पीस लें। उसमें पानी मिलाएँ। स्वाद चेक कर लें। नमक और चाट मसाला बढ़ाये जा सकते हैं।

खट्टा मीठा पानी के लिए :
इमली         - 1 कप, पल्प
गुड़             - 3 tbsps, कद्दूकस किया हुआ  
चाट मसाला - 1 tsp
जीरा पाउडर - 1 tsp
काली मिर्च पाउडर   - 1/4 tsp 
कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर - 1/4 tsp
हींग           - एक चुटकी 
नमक         - स्वादानुसार
पानी          - 4 कप, ठंडा

एक बड़े बरतन में इमली का पल्प और गुड़ बहुत अच्छी तरह मिलाइये।
इसमें चाट मसाला, जीरा पाउडर, मिर्च पाउडर, हींग, नमक और ठंडा पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाइये।
खट्टा मीठा पानी बनकर तैयार हैं।

बस अब जल्दी से अपनी-अपनी प्लेट कटोरी थाम लीजिये। आपके सामने गोलगप्पों की सवारी आ रही है।

Thursday 13 May 2021

जीत जायेंगें हम ...【4】


 

चने की दाल मरीज को दी जा सकती है। यह ईमानदारी से बताऊँ तो मुझे पहली बार पता चला। वैसे तो चने में फाइबर, आयरन ,जिंक, फोलेट,प्रोटीन पाया जाता है जिसके कारण यह डायबिटीज और रक्ताल्पता के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। फाइबर की अधिकता के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है। कुल मिलाकर चने के गुणों की चर्चा निम्न बिंदुओं में की जा सकती है :-

1. चने की दाल शरीर में आयरन की कमी को पूरा करती है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद करती है।


2. डायबिटीज पर नियंत्रण रखने में चने की दाल बेहद कारगर रहती है। यह ग्लूकोज की अधि‍क मात्रा को अवशोषित करती है।


3. चने की दाल का सेवन पीलिया/ जॉन्डिस में भी बहुत फायदेमंद होती है।


4. फाइबर पाये जाने के कारण चने की दाल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाये रखती है जिससे हृदय को नुकसान न हो।


5.  चने की दाल जिंक, कैल्श‍ियम, प्रोटीन, फोलेट आदि से भरपूर होने के कारण शरीर की एनर्जी बनाये रखकर आवश्यक और जरूरी ऊर्जा देती है।


6. चने की दाल खाने से पाचनतंत्र ठीक रहता है और पेट की सारी समस्याओं से राहत मिलती है।


आज शाम की चाय में सिंधी व्यंजन “ दाल पकवान ” आपको दिखा रही हूँ। खिला तो पता नहीं कब पाऊँगी।



दाल बनाना बहुत आसान है और उसके साथ खाई जाने वाली मट्ठी मूलतः पकवान कही जाती है और मैदे से बनती है। मरीज को मैदा मना होता है इसलिए गेंहू का आटा या मल्टीग्रेन आटे की मट्ठी बनाना उचित होता है। कोशिश करें कि बजाय फ्राई करने के मट्ठी बेक कर लें। मट्ठी अपने मनपसंद साइज की बनाइये। ओरिजनल बड़ी होती है और थोड़ी मोटी भी। जबकि मुझे पतली और छोटी मट्ठी अधिक सुविधाजनक लगती है। बड़ी मट्ठी को अलग-अलग shapes में भी काट कर बेक या फ्राई किया जा सकता है।



आधा कटोरी भीगी हुई चने की दाल नमक हल्दी के साथ उबाल लीजिये। एक बड़े चम्मच तेल में हींग, जीरा,लौंग, दालचीनी,साबुत लाल मिर्च, करी पत्ता और तेजपत्ते का तड़का दीजिये। उसमें दो बारीक कटे टमाटर डालकर तेल छूटने तक धीमी से मध्यम आंच पर चलाते हुए भून लीजिये और दाल में मिला दीजिये। आप चाहें तो स्वादानुसार गरम मसाला भी मिला लें, उससे स्वाद बढ़ जाता है। दाल को 3 से 5 मिनट धीमी आंच पर ढक्कन लगाकर पकने दीजिये। सर्व करते समय मट्ठी पर दाल रखिये और बारीक कटी प्याज , हरी मिर्च और हरी धनिया से सजा दीजिये।


यहाँ एक सुझाव सामान्य लोगों के लिए जोड़ रही हूँ। दाल तैयार हो जाने पर छौंकने से पहले उसमें एक छोटी सी डली गुड़ की डाल दीजिए। दाल छौंकने और पका लेने के बाद उसमें स्वादानुसार हरी धनिया की खट्टी चटनी और इमली की मीठी चटनी मिलाइये तब सर्व कीजिये।



साथ में सप्ताह में एक बार कुछ हल्की मिठास वाला मीठा दीजिये जिससे मरीज को अच्छा लगेगा। 




12 ब्रिटानिया मैरी गोल्ड बिस्कुट को मिक्सी में बारीक कर लीजिए। बिस्कुट पाउडर में 1/2 tsp आयल मिलाइये। सर्विंग ग्लास या बोल में बिस्कुट पाउडर की लेयर लगाइए। ऊपर से कस्टर्ड डालिये। बीच में एक पतली लेयर बिस्कुट पाउडर की और लगाई जा सकती है। ऊपर से कस्टर्ड डालिये। सजाने के लिए अनार के दाने, कीवी, ड्रैगन फ्रूट, कटी हुई बादाम, अखरोट, काली किशमिश डालिये।

Wednesday 5 May 2021

जीत जायेंगें हम ... 【 3 】


 

मखाना जिसे foxnut कहते हैं हमारे अंग्रेजीदां , गुणों की खान है।

मखाने में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पाया जाता है।

इसमें एथेनॉल पाया जाता है जो हमारे शरीर के वजन को बढ़ने से नियंत्रण में रखता है।

इसमें पाया जाने वाला एल्कलॉइड व रेसिस्टेंट स्टार्च हार्ट, हाई बीपी, डायबिटीज, किडनी के मरीजों के लिए अच्छा होता है।

इसमें प्रोटीन , आयरन , पोटेशियम, मैग्नीशियम पाया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।

50 ग्राम मखाने में 181 कैलोरी 

और वहीं पर पोटैटो चिप्स के 50 ग्राम में 271 कैलोरी पाई जाती है और गुण संभवतः एक भी नहीं।

मखाने को गुड़ से कैरेमलाइज कर लीजिए और जार में भर कर रख लीजिए। हो गया न मीठा आपके स्वीट टूथ के लिए।

मखाने को जरा से शुद्ध घी में करी पत्ता तड़का तैयार कर सूखे भुने मखाने  भूनकर मिलाइये। नमक, सफेद मिर्च और पुदीने का पाउडर मिलाइये। जार में भर कर रख लीजिए।

कश्मीरी लाल मिर्च, पिसी शक्कर,ऑरेगैनो, रोज़मेरी, सूखे टमाटर का पाउडर और नमक किसी बन्द बोतल में डालकर अच्छी तरह शेक करके पेरी-पेरी मसाला बना लीजिए। पैन में जरा से शुद्ध घी में सूखे भुने मखाने और पेरी-पेरी मसाला डालकर कुछ मिनट भून लें। इसे भी जार में भर लें।

याद रहे जार स्टारलाइज़्ड हों और एयरटाइट हों।

अब इन जार को किसी ऐसी जगह रखें जहाँ से आप बार-बार गुजरते हों। जब मन किया रुके और कुछ दाने मुँह में 😊

अब आलू के चिप्स/ पोटैटो चिप्स या मखाना .... यह निर्णय आपके लिए मैं नहीं ले सकती ...मैंने अपना निर्णय तो लिया हुआ है 😊

कोविड मरीजों के लिए टैग लाइन है :

“ जीत जायेंगें हम ”