लखनऊ का भीड़भाड़ वाला अमीनाबाद,सबसे पुराना चौक बाजार हो, या नफ़ीस बाज़ार हज़रतगंज हो, पूरे लखनऊ में चाट की शानदार उपस्थिति पाई जाती है। आलू की गरमागरम टिकिया, नींबू वाली मटर, दही चटनी के बताशे और गोलगप्पे सबको दीवाना बनाये रखते हैं। कहते हैं स्त्रियाँ तो चाट की शौकीन होती ही हैं पर पुरुषों को भी चाट के ठेले हों या दुकान मैंने खूब चाट खाते देखा है। गोलगप्पों के ठेले तो राह चलते भी हर जगह मिल जायेंगें।
गोलगप्पा मूलतः उर्दू का शब्द है। विभिन्न प्रान्तों में यह अलग-अलग नाम से जाना जाता है। गोलगप्पे को पानी का बताशा, फुल्की, पुचके,फुचके, पानीपूरी, गुपचुप आदि भी कहते हैं। इन गोलगप्पों में कहीं आलू या काला चना या दोनों भरा जाता है तो कहीं सफेद मटर। मटर या आलू या चने भर कर स्वादिष्ट पानी भरा जाता है जिसके ऊपर ही गोलगप्पों की उत्कृष्टता निर्भर करती है।
इन गोलगप्पों में भरा जाने वाला पानी हर प्रान्त में बनाने का ढंग बदलता है। अब तक कोलकाता में सबसे अधिक 17 तरीके का पानी बनाया जाता है।
गोलगप्पों के जन्म के विषय में मुख्य रूप से दो कथाएँ प्रचलित हैं। आइए आपको भी सुनाते हैं वे कहानियाँ ...
बादशाह जहांगीर ने दिल्ली में चांदनी चौक फव्वारा नहरें बनवाई थी जो यमुना का पानी किले तक पहुँचाती थी। शाहजहानाबाद के निवासी उस पानी को पीते थे। किसी कारण वह पानी गन्दा हो गया जिससे लोग बीमार पड़ गए। शाहजहां की बेटी राजकुमारी रौशनआरा ने शाही हक़ीम को रियाया के इलाज के लिए कोई दवा तैयार करने का आदेश दिया। हक़ीम साहब के नुस्ख़े से लोग स्वस्थ हो गए। उस दवा का स्वाद लोगों को बहुत जायकेदार लगा। फिर क्या था लोग नियमित नुस्ख़ा बनाने लगे। इस नुस्ख़े में आटे की छोटी-छोटी सख़्त पूरी बनाकर उस नुस्ख़े के पानी को भर कर खाया जाने लगा। इस तरह गोलगप्पे का हमारी दुनिया में जन्म हुआ।
दूसरी कहानी महाभारत से आई है।
कुंती ने अपनी बहू द्रौपदी को रसोई बनाने के लिए बहुत थोड़ा सा आटा और आलू दिए। द्रौपदी चिन्ता में पड़ गयीं। बड़ी सूझबूझ के साथ द्रौपदी ने उस आटे से छोटी-छोटी पूरी बनाईं और उसके अंदर आलू व मसालेदार पानी भरकर अपने पांचों पतियों की भूख मिटाई। इस प्रकार फुल्की का जन्म हुआ।
गोलगप्पे बनाने में दो तरीके अपनाए जाते हैं- सूजी और मैदे के गोलगप्पे अथवा आटे के गोलगप्पे।
आटे के गोलगप्पों के लिए आटे का सख़्त आटा गूँधते हैं और गोलगप्पे धीमी आँच पर कुरकुरारे तल लेते हैं।
सूजी और मैदे से गोलगप्पे बनाने के लिए ...
सूजी - 1 कप
मैदा - 1/4 कप
मिलाकर सख़्त आटा गूंध कर गीले कपड़े से ढ़ककर कम से कम 15 मिनट के लिए रख दें।
फिर बड़ी रोटी बेल कर उसमें से छोटे गोलगप्पे काट लें अथवा सीधे ही मनपसंद साइज के गोलगप्पे बेल कर धीमी आँच पर कुरकुरारे तल लें।
रात भर भीगी सफेद मटर नमक के साथ कम पानी डालकर उबाल लें।
ठंडी हो जाने पर बारीक कटा हरा धनिया मिला लें।
अब आइए गोलगप्पों के लिए मुख्य चीज अर्थात उसमें भरा जाने वाला पानी तैयार करें।
तीखा, खट्टा पानी बनाने के लिए :
पुदीना। - 1/4 कप
धनिया। - 1/2 कप
अदरक। - 1/2 इंच टुकड़ा
हरी मिर्च। - 2
इमली - 1/2 कप, पल्प
चाट मसाला - 1-1/2 tsp
जीरा पाउडर - 1 tsp
हींग - एक चुटकी
नमक - स्वादानुसार
पानी - 4 कप, ठंडा
पुदीना, धनिया, हरी मिर्च, अदरक, हींग, जीरा पाउडर, चाट मसाला और इमली का पल्प बारीक पीस लें। उसमें पानी मिलाएँ। स्वाद चेक कर लें। नमक और चाट मसाला बढ़ाये जा सकते हैं।
खट्टा मीठा पानी के लिए :
इमली - 1 कप, पल्प
गुड़ - 3 tbsps, कद्दूकस किया हुआ
चाट मसाला - 1 tsp
जीरा पाउडर - 1 tsp
काली मिर्च पाउडर - 1/4 tsp
कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर - 1/4 tsp
हींग - एक चुटकी
नमक - स्वादानुसार
पानी - 4 कप, ठंडा
एक बड़े बरतन में इमली का पल्प और गुड़ बहुत अच्छी तरह मिलाइये।
इसमें चाट मसाला, जीरा पाउडर, मिर्च पाउडर, हींग, नमक और ठंडा पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाइये।
खट्टा मीठा पानी बनकर तैयार हैं।
बस अब जल्दी से अपनी-अपनी प्लेट कटोरी थाम लीजिये। आपके सामने गोलगप्पों की सवारी आ रही है।
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