Saturday, 2 July 2022

Trifle

 


Trifle is originated in 18th century in England. Actual word is Trufle, a French term, not Trifle, which means something whimsical.

In English version of Trifle real egg custard is poured over sponge cake,which is soaked in sherry. Then the layer of fruit followed by whipped cream.

In traditional Trifle layers are distributed in cake pieces,custard, fruits,jelly and cream.

Keep it in mind that Trifle has four steps ..

(a) Prepare custard and cool it.

(b) Prepare cake and fruits

(c) Whip cream

(d) Assemble Trifle

Prepare the custard at least 5 hours before so that while setting the custard comes to room temperature. Custard should be very thick.

Set jelly and keep it in refrigerator.

Cut your choice of fruits in small cubes.

Cut sponge cake into cubes/ fingers or strips. Cubes or fingers will be used without jam, whereas strips will be rolled with jam layer.

Spread jam of your choice over cake strip and roll every strip. 

Cut fruits in small cubes.

For assembling ...

First layer: Cake pieces or rolls + jelly 

Second layer: very thick custard

Third layer: Fruits

Repeat these layers till your requirement is complete.

Top layer: spread whipped cream

Keep it in refrigerator for at least 5 hours before serving.


Follow my blog and let me know your views.

If you've any demand for recipe, kindly let me know.

Thursday, 15 July 2021

Love in mist / कलौंजी










 Love in a mist जो Devil in a bush के नाम से भी जाना जाता है, हमारी रसोई में अपना मुख्य स्थान रखता है। तेल वाला आम का अचार हो या सोंधी मट्ठी अथवा भरवां करेला, भिंडी अथवा नान या कुलचा बिना इसके अधूरा होता है। आमतौर पर इसे कलौंजी या मंगरैल कहते हैं।

कलौंजी Ranunculaceae family का पौधा है जिसे अँग्रेजी में Nigella कहते हैं।

इसके अन्य नाम हैं काला जीरा, काला बीज, आशीष के बीज, नल्ला जीराकारा ( तेलुगु ),  करीम जिरकम ( मलयालम ),  मंगरेला या कल्ला कल्ला के दाने ( मराठी ), बंगला में कालाजीरो ,  करुण जिरागम ( तमिल )।

कलौंजी को बहुत सारे लोग प्याज का बीज समझते हैं, जोकि गलत है। कलौंजी प्याज के बीज नहीं हैं। कलौंजी और प्याज के बीज दोनों अलग प्रजाति हैं। सिर्फ रंग और आकार कुछ मिलता जुलता होता है। प्रथम दृष्टि में देखने से इसे लोग प्याज का बीज समझने की भूल कर देते हैं।

आयुर्वेद में कलौंजी को कलयुग की संजीवनी बूटी कहते हैं।अगर सही तरीके से इसका सेवन किया जाए तो इससे भयानक से भयानक बीमारी ठीक हो सकती है। 

कलौंजी सर्दी-जुकाम,डायबिटीज, बाल झड़ने की समस्या, हार्ट की व्याधि में, पिंपल्स दूर करने, वजन कम करने में मददगार होती है।

यदि कलौंजी को सुबह गुनगुने पानी के साथ नियमित खाया जाये तो एसिडिटी और डायबिटीज में राहत मिलती है। साथ ही पिम्पल्स की समस्या में भी आराम आता है।

कलौंजी का नियमित प्रयोग स्मरण शक्ति बढ़ाता है।

कलौंजी अस्थमा और जोड़ों के दर्द में राहत देती है।

कलौंजी में एंटी-ऑक्सीडेंट्स मौजूद होते हैं जो कैंसर जैसी बीमारी से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होते हैं।

अगर आपको कफ की समस्या है तो कलौंजी के तेल का इस्तेमाल आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा और कलौंजी को गर्म करके पोटली में रखकर सूंघने से बन्द नाक खुल जाती है।

कलौंजी ब्लड प्योरिफायर का भी काम करती है।

कलौंजी का तेल में ऑलिव ऑयल और मेंहदी पाउडर को मिलाकर गर्म करें और  जब यह मिश्रण ठंडा हो जाए तो इसे किसी शीशी में बंद करके रख दीजिए। इस तेल से सप्ताह में दो बार मसाज करने से गंजेपन की समस्या में राहत मिलती है।

कलौंजी की राख को ऑलिव ऑयल में मिलाकर मसाज करने से नए बाल आना शुरू हो जाते हैं व उनकी ग्रोथ इम्प्रूव कर जाती है।

कलौंजी का तेल बाल/केश का गिरना कम करता है।

अब आइए सिक्के के दूसरे पहलू को भी जान लें।

कलौंजी के यदि अनेक फायदे हैं तो कुछ नुक़सान भी हैं। अतः ‘  नीम हक़ीम ख़तरे जान ’ को याद रखते हुए उन नुकसानों के विषय में भी जान लें।

गर्भवती स्त्री को कलौंजी नुकसान पहुँचा सकती है। अतः इसके विषय में अपने चिकित्सक की सलाह अवश्य लें।

कलौंजी में थाइमोक्विनोन पाया जाता है। यह रक्त में क्लॉटिंग करता है। अतः हार्ट के मर्ज वाले बिना चिकित्सक की सलाह व अनुमति के इसे न खायें।

अगर आपको हाइपर एसिडिटी है , पित्त अधिक बनता है, गर्मी अधिक लगती है, पेट में जलन होती है तो कलौंजी नहीं खानी चाहिए।

मासिक धर्म की समस्या होने पर भी इसका प्रयोग वर्जित है।

Wednesday, 14 July 2021

पत्थर के फूल

 



हमने चर्चा की थी “ मसाला सीरीज ” में कबाबचीनी, स्याह जीरा और स्टार एनीज की। उसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और बात करते हैं “ पत्थर के फूल ” की।

पुरानी दीवारों,खंडहरों में और पत्थरों पर बरसात के दिनों में छोटे-छोटे पौधे अपनेआप उग आते हैं। ये देखने में फूल जैसे लगते हैं। इसी कारण इन्हें शिलापुष्प भी कहते हैं। 

यह एक प्रकार की वनस्पति/ लाइकेन ही है। इसके पीछे वाला भाग काला-स्लेटी रंग का और नीचे का भाग सफेद रंग का होता है।

दगड़ फूल में अनेक गुण हैं। इसमें एन्टी इंफ्लेमेटरी, एन्टी फंगल, एन्टी बैक्टरियल, एन्टीइंफ्लेमेट्री, एन्टी वायरल और एन्टी माइक्रोबियल गुण होते हैं। 

यह औषधि फूल होने के साथ साथ गरम मसलों में प्रयोग किया जाने वाला मसाला हैं। 

यह फूल स्वयं ही किसी भी पुरानी दीवार या खाली पथरीली भूमी पर उग जाता हैं। पत्थरों पर या पठारों पर उगने की इस पठार पुष्प, योग्यता के कारण कल्पासी भी कहते हैं। अँग्रेजी में इसे ब्लैक स्टोन कहते हैं।

इसकी अच्छी खुशबू के कारण इसे मसालों, सूप, सब्जियों आदि में स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता हैं। 

यह कई तरह की बीमारियों के लिए भी फायदेमंद होता है। यह किडनी की पथरी के अलावा गुप्त रोगों के निदान के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

छरीला या दगड़ फूल का वानस्पतिक नाम Parmelia perlata है, और यह Parmeliaceae  कुल का है। 

छरीला को देश या विदेशों में अन्य कई नामों से भी जाना जाता है ...

हिंदी में इसे छरीला, भूरिछरीला, पत्थरफूल कहते हैं।

संस्कृत में शैलेय, शिलापुष्प, वृद्ध, कालानुसार्यक, अश्मपुष्प, शीतशिव कहते हैं।

अंग्रेजी में स्टोन  फ्लावर के अलावा येलो लाइकेन, लिथो लाइकेन , लाइकेन भी कहते हैं।

उर्दू में इसे हबाक्कारमनी, रीहानकरमनी कहते हैं।

कनड़ में कल्लूहूवु , गुजराती में घबीलो, पत्थरफूला, छडीलो कहते हैं।

तामिल में कल्पासी, कलापु व तेलगू में शैलेय मनेद्रव्यमु, रतिपंचे , मलयालम में सेलेयाम व कलपुवु कहते हैं।

बंगाली में शैलज , नेपाली में भन्याऊ , पंजाबी में चालचालीरा , मराठी में दगड़ फूल कहते हैं।

आजकल गार्डन डिजायनर पत्थर के फूल से प्रेरणा पाकर पत्थरों पर पौधे उगाने लगे हैं जो सफल भी साबित हो रहा है। पत्थरों में झिलमिलाते पौधे न केवल दिखने में सुंदर होते हैं बल्कि उनकी देखभाल भी मजेदार लगती है।

पत्थरों के अलावा ये पत्थर के फूल बड़े वृक्षों के तने की छाल पर भी उग आते हैं। यह बिलकुल पतले और कुरकुरारे से फूल जैसी आकृति के होते हैं।

मुगलई व्यंजन विशेषकर मटन में इस प्रयोग खूब होता है। शाकाहारी व्यंजनों में भी रिच ग्रेवी वाली डिश में भी यह प्रयोग में आता है। गरम मसाला बनाते समय इसे भी शामिल किया जाता है।

इसको मसाले में प्रयोग के लिए 4,5 घण्टे धूप दिखा कर पाउडर किया जाता है। डिश में पकाते समय डालने के लिए ऑयल या घी में इसका तड़का तैयार किया जाता है जिससे इसकी खुश्बू और स्वाद आये।

अर्थराइटिस जो वात जनित मर्ज है, उसके इलाज में दगड़ फूल सहायक होते हैं। वात दोष के कारण अर्थराइटिस के मरीजों की तकलीफ हड्डियों और जोड़ों में ड्राईनेस बढ़ जाती है और बहुत दर्द होता है। अपने तैलीय गुण के कारण दगड़ फूल उस ड्राईनेस को कम करता है जिससे तकलीफ कम होती है।

इस्तेमाल किडनी की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसके सेवन से किडनी में होने वाली पथरी तथा पेशाब से संबंधित दिक्कते कम हो जाती हैं। दगड़ फूल के सेवन से किडनी की पथरी का बनना रुक जाता हैं।

पाचन तथा पेट से संबंधित दिक्कतों को दूर करने के लिए अपने आहार में नियमित रूप से दगड़ फूल का किसी न किसी रूप में सेवन करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है तथा पेट से जुडी समस्याओं से भी राहत मिलती हैं।

जिन लोगों की त्वचा बहुत ही सेंसेटिव होती है, उनको ख़ास कर अपनी स्किन की रक्षा करने के लिए अपनी डाईट में दगड़ फूल को अवश्य शामिल करना चाहिए।

इसके एन्टी बैक्टेरियल गुण के कारण त्वचा रोगों में आराम मिलता हैं। त्वचा पर लाल चकत्ते, खाज-खुजली, रैशेस या किसी प्रकार से त्वचा इन्फेक्ट हो रही है, तो दगड़ फूल का सेवन करने से आराम मिलता हैं।

दगड़ फूल में एंटी- इंफ्लेमेंट्री गुण होने के कारण ही कई लोगों का मानना हैं कि इसके सेवन से कैंसर जैसी बीमारी से बचाव हो सकता है।

सूजन या दर्द की समस्या में राहत मिलती है क्योंकि दगड़ फूल में एंटी फंगल, एंटी- बैक्टेरियल, एंटी-वायरल और एन्टी माइक्रोबियल गुण के कारण सूजन और दर्द में राहत मिलती है।

Monday, 21 June 2021

कबाबचीनी

 


भारतीय मसालों का अदभुत संसार है। खुशबू, रंगत से लेकर स्वाद बढ़ाने में इन्ही छुपे रुस्तमों का हाथ होता है। मसाले न हों तो दावत ज्यौनार का आधे से अधिक रुतबा फ़ीका पड़ जाये। हमारे मसाले सिर्फ व्यंजनों की आब और ज़ायका ही नहीं बढ़ाते बल्कि हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कहते हैं न कि , “ दवा के साथ दुआ ही काम आती है। ” ये मसाले उन्हीं दुआओं में शामिल होते हैं।

इससे पहले हम लोगों ने स्याह जीरे की बातचीत का विषय बनाया था। आज चर्चा में है “ कबाबचीनी ”

शीतलचीनी या कबाबचीनी एक प्रकार का बीज है।इसका पौधा पान के पत्तों की तरह दिखता है। यह पौधे विभिन्न व्यंजनों के लिए काली मिर्च, लौंग की तरह उपयोग किया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम पाइपर क्यूबेबा (piper cubeba) है, जो पाइपरेसिई (piperaceae) प्रजाति का एक पौधा है। इस पौधे का फल छोटे से आकार का होता है। यह देखने में काली मिर्ची के समान होती है। कच्चे रूप में तोड़कर इसे सुखाया जाता है। इसे मुँह में रखने पर ठंडा ठंडा सा महसूस होता है, इसलिए इसे शीतलचीनी भी कहते हैं। 

हिंदी में शीतलचीनी, कबाबचीनी, संस्कृत में कंकोलंं,  मराठी में कंकोल, गुजराती में तड़मिरे, चणकबात ,  बंगला में कोकला, शीतलचीनी, तेलुगू में टोकामिरियालू, कबाबचीनी, तमिल में वलमिलाकू, मलयालम में चीनीमुलक, कन्नड़ में गंधमेणसु, बालमेणस, फारसी- कबाबचीनी, अंग्रेजी में क्यूबेब,  लैटिन- पाइपर क्यूबेबा कहते हैं।

इसका उपयोग भारत में सूप और सॉस के अलावा विशेष रूप से मांसाहारी व्यंजनों को स्वादिष्ट और सुगंधित बनाने के लिए किया जाता है। मुगलई व्यंजनों में आने वाली भीनी-भीनी सुगंध कबाबचीनी के कारण भी होती है।

कबाबचीनी आमतौर पर लोक चिकित्सा और घरेलू उपचार के हिस्से के रूप में भी उपयोग की जाती है। 

अपना गला साफ़ करने के लिए गायक इसे चबाते हैं।

कबाबचीनी में एंटीइन्फलमेटरी, एरोमेटिक, डाइयूरेटिक, एक्सपेक्टोरेंट, कार्मिनेटिव, एंटीमाइक्रोबियल, एनल्जेसिक, एंटी अस्थमैटिक और स्टीमुलेंट प्रॉपर्टिज होती हैं। यह हमें कई बीमारियों से निजात दिलाती है। इसमें क्यूबिक एसिड होता है, जिसका यूरीनरी और रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट पर प्रभाव पड़ सकता है। 

कबाबचीनी के निम्नलिखित व्याधियों में सहायक होती है :-

थकान को दूर करती है, मुँह में आने वाली दुर्गंध दूर करती है, बुखार में आराम दिलाती है, सिरदर्द से राहत देती है, डिसेंटरी,अस्थमा, हेफीवर, पेट से सम्बंधित परेशानियों को दूर करने में सहायक होती है, अपच, गले में खराश, सर्दी-जुखाम में आराम पहुँचाती है।

पेट या आंत में सूजन या इंफेक्शन होने पर कबाबचीनी को इन दोनों ही स्थिति में लेना हानिकारक हो सकता है इसलिए पेट और आंत में सूजन या इंफेक्शन होने पर इसका सेवन न करें।

किडनी से जुड़ी बीमारी होने पर भी इसे न खायें।

अगर आप किसी दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो शीतलचीनी का सेवन करने से दवा के असर पर प्रभावित हो सकता है। जैसे :-

निम्नलिखित दवाओं के साथ शीतलचीनी का उपयोग न करें :-

Pepcid, Zantac, Tagamet

यह एसिडिटी कम करने की दवाएँ हैं। एंटासीड्स का इस्तेमाल पेट में बनने वाले एसिड को कम करने के लिए किया जाता है। कबाबचीनी का प्रयोग करने से पेट में एसिड बन सकता है। ऐसे में एंटासीड्स के साथ कबाबचीनी का उपयोग करने से दवा का असर प्रभावित होगा।

H2  Blockers दवाएं जो पेट में बनने वाले एसिड को कम करती हैं उनके साथ कबाबचीनी न लें। यह पेट में एसिड बढ़ाती है। इस हर्ब को लेने से दवा का असर प्रभावित होगा।

इसके बारे में अधिक जानने के लिए अपने चिकित्सक या हर्बलिस्ट से अवश्य सम्पर्क करें।

Sunday, 20 June 2021

Spices of India : स्याह जीरा


 

स्याह जीरा या काला जीरा बहुत गुणकारी होता है। 

यह शरीर को ऊर्जा देता है। 

सर्दी जुखाम में लाभदायक है।

यह पाचन सम्बन्धी समस्याओं को दूर करता है। 

इसमें एंटीमाइक्रोबियल पाया जाता है, जिससे पाचन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं। 

स्याह जीरे के सेवन से पेट-दर्द,दस्त, पेट में कीड़े होना, गैस्ट्रिक, पेट फूलना आदि परेशानियाँ कम होने लगती हैं। 

स्याह जीरा सिर दर्द और दांत दर्द की समस्या में भी उपयोगी होता है। तेज सिर दर्द में काले जीरे के तेल को माथे पर लगाने से सिर दर्द कम होने लगता है। 

स्याह जीरा दांत के दर्द को भी कम करता है। अगर आपके दांत में दर्द हो तो आप काले जीरे के तेल की कुछ बूंद गर्म पानी में डालकर कुल्ला कर लें। इससे आपके दांत दर्द में तुरंत राहत मिलेगी। 

स्याह जीरा रात को पानी में भिगो कर रख दें। सुबह सबसे पहले वह पानी पीने से वजन कम होता है।

इस सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि स्याह जीरा इम्युनिटी बूस्टर है। इसका नियमित प्रयोग इम्युनिटी बढ़ाता है।

गरम मसाला बनाते समय स्याह जीरा अवश्य मिलाना चाहिए।

पुलाव में स्याह जीरे की खुशबू बहुत अच्छी लगती है।


नोट :-

प्राकृतिक चीजें तुरन्त अपना असर नहीं दिखाती हैं। कम से कम तीन महीने का समय उन्हें देना पड़ता है। 

यदि आपको किसी भी खाद्य पदार्थ से एलर्जी हो तो पहले किसी चिकित्सक से राय अवश्य कर लें। यह मान कर नहीं चलिए कि खाने की वस्तु है इसलिए सब ठीक हो जाएगा क्योंकि एलर्जी कई बार बहुत बड़ा नुकसान भी कर देती है।

Friday, 28 May 2021

Superfood Cookies


Superfood की हर किसी की अपनी परिभाषा और अपनी समझ होती है। मेरी नज़र में सुपरफ़ूड वो खाद्य पदार्थ हुआ जो पौष्टिकता से भरपूर हो और यथासंभव उगाया हुआ अर्थात पादप जगत का सदस्य हो। सबसे अच्छे सुपरफूड होते हैं बीज, मेवा, हरे पत्ते वाले साग, हरी सब्जियाँ, हर तरह की बेरी, पपीता। यह सुपरफूड विटामिन, मिनरल और फाइबर से भरपूर होते हैं जो अच्छे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। ये ग्लूटेन विहीन होते हैं।

Oats Cookies एक सुपरफूड है। पूर्णतः vegan है और पौष्टिकता से भरपूर है। इसमें कद्दू के , सूरजमुखी के फ्लैक्स के बीज, सफेद तिल आदि सभी अपार ऊर्जा का स्त्रोत हैं।

आइए बनायें सुपरफूड कूकीज .....

सामान चाहिए :

आटा        - 1 कप
Oats       - 1 कप chips/ rolled oats
काजू + 
बादाम+ 
अखरोट     - 1/2कप कटे हुए
सूरजमुखी के बीज -1/4 कप 



कद्दू के बीज          - 1 tbsp     
सफेद तिल            _- 1 tbsp
चिया सीड             - 2 tbsp
करौंदा लाल वाला   - 2 tbsp, सूखे टुकड़े 
दालचीनी पाउडर    - 1 tsp
नमक                    - 1/4 tsp
गुड़     - 1 कप, पाउडर किया हुआ
मेपल सिरप    - 2,3 tbs,अथवा 
शहद             - 3 tbsp
बेकिंग पाउडर - 1tsp
Nut butter  - 1/2 कप 
दूध                - 2 tbsp

अब थोड़ी सी एक्सरसाइज कर लें ...

Nuts और seeds को रोस्ट कर लीजिए।
गुड़ पाउडर को कम से कम 2 बार छान लें।
गुड़ और रूम टेम्परेचर पर रखा नट बटर अच्छी तरह फेंट लें।
आटा, नमक, बेकिंग पाउडर तीन बार छान लें।
आटे में oats, nuts, seeds, दालचीनी पाउडर, इलायची पाउडर मिला लें।
अब इसमें गुड़ व मक्खन मिलाएँ।
मेपल सिरप या शहद मिलाएँ।
सारी सामग्री अच्छी तरह आटे की तरह गूंध लीजिये।
आवश्यकतानुसार दूध मिलाइये।



इनके छोटे बॉल बनाइये।



बटर पेपर वाली बेकिंग ट्रे में रखकर हाथ से फ्लैट कर दें।





250℃ पर ओवन को 10 मिनट प्रीहीट कीजिये और कुकीज की ट्रे को ओवन में लगाइए और 20 से 25 मिनट तक बेक कीजिये।

Wire rack पर निकाल कर ठंडा कीजिये।




Power-packed Superfood Cookies खुद भी खाइये और सबको खिलाकर तारीफ पाइए।

Sunday, 23 May 2021

गोलगप्पा रे ! सुन तेरी कहानी ...

 


लखनऊ का भीड़भाड़ वाला अमीनाबाद,सबसे पुराना चौक बाजार हो, या नफ़ीस बाज़ार हज़रतगंज हो, पूरे लखनऊ में चाट की शानदार उपस्थिति पाई जाती है। आलू की गरमागरम टिकिया, नींबू वाली मटर, दही चटनी के बताशे और गोलगप्पे सबको दीवाना बनाये रखते हैं। कहते हैं स्त्रियाँ तो चाट की शौकीन होती ही हैं पर पुरुषों को भी चाट के ठेले हों या दुकान मैंने खूब चाट खाते देखा है। गोलगप्पों के ठेले तो राह चलते भी हर जगह मिल जायेंगें।


गोलगप्पा मूलतः उर्दू का शब्द है। विभिन्न प्रान्तों में यह अलग-अलग नाम से जाना जाता है। गोलगप्पे को पानी का बताशा, फुल्की, पुचके,फुचके, पानीपूरी, गुपचुप आदि भी कहते हैं। इन गोलगप्पों में कहीं आलू या काला चना या दोनों भरा जाता है तो कहीं सफेद मटर। मटर या आलू या चने भर कर स्वादिष्ट पानी भरा जाता है जिसके ऊपर ही गोलगप्पों की उत्कृष्टता निर्भर करती है।

इन गोलगप्पों में भरा जाने वाला पानी हर प्रान्त में बनाने का ढंग बदलता है। अब तक कोलकाता में सबसे अधिक 17 तरीके का पानी बनाया जाता है।

गोलगप्पों के जन्म के विषय में मुख्य रूप से दो कथाएँ प्रचलित हैं। आइए आपको भी सुनाते हैं वे कहानियाँ ...

बादशाह जहांगीर ने दिल्ली में चांदनी चौक फव्वारा नहरें बनवाई  थी जो यमुना का पानी किले तक पहुँचाती थी। शाहजहानाबाद के निवासी उस पानी को पीते थे। किसी कारण वह पानी गन्दा हो गया जिससे लोग बीमार पड़ गए। शाहजहां की बेटी राजकुमारी रौशनआरा ने शाही हक़ीम को रियाया के इलाज के लिए कोई दवा तैयार करने का आदेश दिया। हक़ीम साहब के नुस्ख़े से लोग स्वस्थ हो गए। उस दवा का स्वाद लोगों को बहुत जायकेदार लगा। फिर क्या था लोग नियमित नुस्ख़ा बनाने लगे। इस नुस्ख़े में आटे की छोटी-छोटी सख़्त पूरी बनाकर उस नुस्ख़े के पानी को भर कर खाया जाने लगा। इस तरह गोलगप्पे का हमारी दुनिया में जन्म हुआ।

दूसरी कहानी महाभारत से आई है। 
कुंती ने अपनी बहू द्रौपदी को रसोई बनाने के लिए बहुत थोड़ा सा आटा और आलू दिए। द्रौपदी चिन्ता में पड़ गयीं। बड़ी सूझबूझ के साथ द्रौपदी ने उस आटे से छोटी-छोटी पूरी बनाईं और उसके अंदर आलू व मसालेदार पानी भरकर अपने पांचों पतियों की भूख मिटाई। इस प्रकार फुल्की का जन्म हुआ।

गोलगप्पे बनाने में दो तरीके अपनाए जाते हैं- सूजी और मैदे के गोलगप्पे अथवा आटे के गोलगप्पे।

आटे के गोलगप्पों के लिए आटे का सख़्त आटा गूँधते हैं और गोलगप्पे धीमी आँच पर कुरकुरारे तल लेते हैं।

सूजी और मैदे से गोलगप्पे बनाने के लिए ...
सूजी - 1 कप 
मैदा  - 1/4 कप 
मिलाकर सख़्त आटा गूंध कर गीले कपड़े से ढ़ककर कम से कम 15 मिनट के लिए रख दें।
फिर बड़ी रोटी बेल कर उसमें से छोटे गोलगप्पे काट लें अथवा सीधे ही मनपसंद साइज के गोलगप्पे बेल कर धीमी आँच पर कुरकुरारे तल लें।

रात भर भीगी सफेद मटर नमक के साथ कम पानी डालकर उबाल लें।
ठंडी हो जाने पर बारीक कटा हरा धनिया मिला लें।

अब आइए गोलगप्पों के लिए मुख्य चीज अर्थात उसमें भरा जाने वाला पानी तैयार करें। 

तीखा, खट्टा पानी बनाने के लिए :
पुदीना।      - 1/4 कप
धनिया।     - 1/2 कप
अदरक।     - 1/2 इंच टुकड़ा 
हरी मिर्च।   - 2
इमली         - 1/2 कप, पल्प
चाट मसाला - 1-1/2 tsp
जीरा पाउडर - 1 tsp
हींग              - एक चुटकी 
नमक            - स्वादानुसार 
पानी             - 4 कप, ठंडा

पुदीना, धनिया, हरी मिर्च, अदरक, हींग, जीरा पाउडर, चाट मसाला और इमली का पल्प बारीक पीस लें। उसमें पानी मिलाएँ। स्वाद चेक कर लें। नमक और चाट मसाला बढ़ाये जा सकते हैं।

खट्टा मीठा पानी के लिए :
इमली         - 1 कप, पल्प
गुड़             - 3 tbsps, कद्दूकस किया हुआ  
चाट मसाला - 1 tsp
जीरा पाउडर - 1 tsp
काली मिर्च पाउडर   - 1/4 tsp 
कश्मीरी लाल मिर्च पाउडर - 1/4 tsp
हींग           - एक चुटकी 
नमक         - स्वादानुसार
पानी          - 4 कप, ठंडा

एक बड़े बरतन में इमली का पल्प और गुड़ बहुत अच्छी तरह मिलाइये।
इसमें चाट मसाला, जीरा पाउडर, मिर्च पाउडर, हींग, नमक और ठंडा पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाइये।
खट्टा मीठा पानी बनकर तैयार हैं।

बस अब जल्दी से अपनी-अपनी प्लेट कटोरी थाम लीजिये। आपके सामने गोलगप्पों की सवारी आ रही है।

Thursday, 13 May 2021

जीत जायेंगें हम ...【4】


 

चने की दाल मरीज को दी जा सकती है। यह ईमानदारी से बताऊँ तो मुझे पहली बार पता चला। वैसे तो चने में फाइबर, आयरन ,जिंक, फोलेट,प्रोटीन पाया जाता है जिसके कारण यह डायबिटीज और रक्ताल्पता के मरीजों के लिए लाभदायक होता है। फाइबर की अधिकता के कारण यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है। कुल मिलाकर चने के गुणों की चर्चा निम्न बिंदुओं में की जा सकती है :-

1. चने की दाल शरीर में आयरन की कमी को पूरा करती है और हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाने में मदद करती है।


2. डायबिटीज पर नियंत्रण रखने में चने की दाल बेहद कारगर रहती है। यह ग्लूकोज की अधि‍क मात्रा को अवशोषित करती है।


3. चने की दाल का सेवन पीलिया/ जॉन्डिस में भी बहुत फायदेमंद होती है।


4. फाइबर पाये जाने के कारण चने की दाल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को घटाये रखती है जिससे हृदय को नुकसान न हो।


5.  चने की दाल जिंक, कैल्श‍ियम, प्रोटीन, फोलेट आदि से भरपूर होने के कारण शरीर की एनर्जी बनाये रखकर आवश्यक और जरूरी ऊर्जा देती है।


6. चने की दाल खाने से पाचनतंत्र ठीक रहता है और पेट की सारी समस्याओं से राहत मिलती है।


आज शाम की चाय में सिंधी व्यंजन “ दाल पकवान ” आपको दिखा रही हूँ। खिला तो पता नहीं कब पाऊँगी।



दाल बनाना बहुत आसान है और उसके साथ खाई जाने वाली मट्ठी मूलतः पकवान कही जाती है और मैदे से बनती है। मरीज को मैदा मना होता है इसलिए गेंहू का आटा या मल्टीग्रेन आटे की मट्ठी बनाना उचित होता है। कोशिश करें कि बजाय फ्राई करने के मट्ठी बेक कर लें। मट्ठी अपने मनपसंद साइज की बनाइये। ओरिजनल बड़ी होती है और थोड़ी मोटी भी। जबकि मुझे पतली और छोटी मट्ठी अधिक सुविधाजनक लगती है। बड़ी मट्ठी को अलग-अलग shapes में भी काट कर बेक या फ्राई किया जा सकता है।



आधा कटोरी भीगी हुई चने की दाल नमक हल्दी के साथ उबाल लीजिये। एक बड़े चम्मच तेल में हींग, जीरा,लौंग, दालचीनी,साबुत लाल मिर्च, करी पत्ता और तेजपत्ते का तड़का दीजिये। उसमें दो बारीक कटे टमाटर डालकर तेल छूटने तक धीमी से मध्यम आंच पर चलाते हुए भून लीजिये और दाल में मिला दीजिये। आप चाहें तो स्वादानुसार गरम मसाला भी मिला लें, उससे स्वाद बढ़ जाता है। दाल को 3 से 5 मिनट धीमी आंच पर ढक्कन लगाकर पकने दीजिये। सर्व करते समय मट्ठी पर दाल रखिये और बारीक कटी प्याज , हरी मिर्च और हरी धनिया से सजा दीजिये।


यहाँ एक सुझाव सामान्य लोगों के लिए जोड़ रही हूँ। दाल तैयार हो जाने पर छौंकने से पहले उसमें एक छोटी सी डली गुड़ की डाल दीजिए। दाल छौंकने और पका लेने के बाद उसमें स्वादानुसार हरी धनिया की खट्टी चटनी और इमली की मीठी चटनी मिलाइये तब सर्व कीजिये।



साथ में सप्ताह में एक बार कुछ हल्की मिठास वाला मीठा दीजिये जिससे मरीज को अच्छा लगेगा। 




12 ब्रिटानिया मैरी गोल्ड बिस्कुट को मिक्सी में बारीक कर लीजिए। बिस्कुट पाउडर में 1/2 tsp आयल मिलाइये। सर्विंग ग्लास या बोल में बिस्कुट पाउडर की लेयर लगाइए। ऊपर से कस्टर्ड डालिये। बीच में एक पतली लेयर बिस्कुट पाउडर की और लगाई जा सकती है। ऊपर से कस्टर्ड डालिये। सजाने के लिए अनार के दाने, कीवी, ड्रैगन फ्रूट, कटी हुई बादाम, अखरोट, काली किशमिश डालिये।

Wednesday, 5 May 2021

जीत जायेंगें हम ... 【 3 】


 

मखाना जिसे foxnut कहते हैं हमारे अंग्रेजीदां , गुणों की खान है।

मखाने में एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव पाया जाता है।

इसमें एथेनॉल पाया जाता है जो हमारे शरीर के वजन को बढ़ने से नियंत्रण में रखता है।

इसमें पाया जाने वाला एल्कलॉइड व रेसिस्टेंट स्टार्च हार्ट, हाई बीपी, डायबिटीज, किडनी के मरीजों के लिए अच्छा होता है।

इसमें प्रोटीन , आयरन , पोटेशियम, मैग्नीशियम पाया जाता है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है।

50 ग्राम मखाने में 181 कैलोरी 

और वहीं पर पोटैटो चिप्स के 50 ग्राम में 271 कैलोरी पाई जाती है और गुण संभवतः एक भी नहीं।

मखाने को गुड़ से कैरेमलाइज कर लीजिए और जार में भर कर रख लीजिए। हो गया न मीठा आपके स्वीट टूथ के लिए।

मखाने को जरा से शुद्ध घी में करी पत्ता तड़का तैयार कर सूखे भुने मखाने  भूनकर मिलाइये। नमक, सफेद मिर्च और पुदीने का पाउडर मिलाइये। जार में भर कर रख लीजिए।

कश्मीरी लाल मिर्च, पिसी शक्कर,ऑरेगैनो, रोज़मेरी, सूखे टमाटर का पाउडर और नमक किसी बन्द बोतल में डालकर अच्छी तरह शेक करके पेरी-पेरी मसाला बना लीजिए। पैन में जरा से शुद्ध घी में सूखे भुने मखाने और पेरी-पेरी मसाला डालकर कुछ मिनट भून लें। इसे भी जार में भर लें।

याद रहे जार स्टारलाइज़्ड हों और एयरटाइट हों।

अब इन जार को किसी ऐसी जगह रखें जहाँ से आप बार-बार गुजरते हों। जब मन किया रुके और कुछ दाने मुँह में 😊

अब आलू के चिप्स/ पोटैटो चिप्स या मखाना .... यह निर्णय आपके लिए मैं नहीं ले सकती ...मैंने अपना निर्णय तो लिया हुआ है 😊

कोविड मरीजों के लिए टैग लाइन है :

“ जीत जायेंगें हम ”

Thursday, 29 April 2021

जीत जायेंगें हम ..... 【 2 】




रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी की चर्चा जब से कोरोना की आमद हुई है तब से सबसे अधिक हुई है। इम्युनिटी शरीर की कमजोर पड़ी और अनेक संक्रमण हमें अपनी गिरफ्त में ले को दौड़ पड़ते हैं। हर कोरोना संक्रमित इंसान का इम्युनिटी लेवल खतरनाक हद तक नीचे चला जाता है। अतः सबसे पहले इलाज के साथ इम्युनिटी को बढ़ाने के प्रयास भी प्रारम्भ कर देने चाहिए। शरीर की इम्यूनिटी अच्छी होने से बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।

शरीर का इम्युनिटी लेवल बढ़ाने के लिए खानपान के नियमों का  सख्ती से पालन किया जाए। पोषण पर विशेष ध्यान दिया जाए। खाद्य पदार्थों में इम्युनिटी बूस्टर को पहचाना जाए और शरीर की आवश्यकतानुसार उसे भोजन में स्थान दिया जाए। दही, हल्दी, विभिन्न प्रकार के फल, हरी सब्जियाँ, मेवा आदि पोषण के अनेक तत्वों को बढ़ाते हैं। बस इनका नियमित और सही समय पर सेवन किया जाना चाहिए।

आइए अब विभिन्न विटामिन, जिंक, आयरन,एंटीऑक्सीडेंट आदि से समृद्ध फल, सब्जी, अनाज आदि के बारे में चर्चा करें।

कैल्शियम, प्रोटीन, फास्फोरस, पोटैशियम, राइबोफ्लेविन, विटामिन A, D, B12 हमें प्राप्त होता है दूध से। दूध हमें ऊर्जा देता है। गर्म दूध का सेवन शरीर को हाइड्रेट रखता है। पानी की तरह दूध भी नियमित रूप से पिया जाना चाहिए।



हमारी रसोई में पाए जाने वाले मसालों में हल्दी मुकुट के समान होती है। हल्दी एंटीबायोटिक और एंटीऑक्सीडेंट दोनों ही होती है। आयुर्वेद में इसे प्राकृतिक एस्प्रीन माना जाता है। एंटीबायोटिक होने के कारण इसका प्रयोग संक्रमण को रोकता है। एंटीऑक्सीडेंट होने के साथ यह शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होती है। यह सिरदर्द या बदन दर्द को कम करती है। गर्म हल्दी वाले दूध में एमिनो एसिड होने के कारण ट्राइप्टोफान उत्पन्न होता है जो अच्छी नींद आने में सहायक होता है।



दही एक प्राकृतिक प्रोबायोटिक होता है जो हमारे शरीर में अच्छे बैक्टीरिया का निर्माण करता है। इसके सेवन में बस एक ही शर्त है कि यह एकदम ताजा हो। कुछ लोगों को दही खाने से गले में खराश होती है लेकिन यह याद रखने की बात है कि यह इम्यूनिटी बढ़ाने में सहायक है।



हमारे घरों में तुलसी अवश्य लगी होती है। तुलसी एंटीवायरस, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल, एंटीबायोटिक, एन्टीफ्लू, एंटीइंफ्लेमेटरी और एन्टीडिजीज होती है। रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, विष्णु तुलसी, नीबू तुलसी और वनतुलसी को बराबर मात्रा में लेकर उनका अर्क निकाल कर एक लीटर पानी में दो बूंद अर्क डालकर 15 मिनट ढ़ककर रख दें और उसके बाद पियें जो वायरस से बचाव करेगा। तीव्र बुखार में तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बहुत आराम देता है। इसका लगातार प्रयोग हीमोग्लोबिन का स्तर बढ़ाता है।



यह लेख जारी रहेगा अगले ब्लॉग में। अभी तो आपसे सब्जियों व मसाले की चर्चा भी करनी है। बस जल्दी ही आपसे मिलती हूँ।


Tuesday, 27 April 2021

जीत जायेंगें हम ....










बीमारी कोई भी हो स्वस्थ होने के लिए दवा के साथ दुआ और भोजन का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। कोरोना जैसी बीमारी शरीर को कमजोर करती है। मानसिक संतुलन के साथ इस समय पौष्टिक भोजन अत्यंत आवश्यक होता है। जो लोग संक्रमित व्यक्ति के सहायक के रूप में या किसी अन्य कारण से संक्रमित इंसान के संपर्क में आते हैं उन्हें भी भोजन की महत्ता को पहचानना ही चाहिए। जो लोग क्वारंटाइन हैं उन्हें प्रोटीन,आयरन,जिंक,विटामिन D, विटामिन B पाए जाने वाले खाद्य पदार्थ को अपने दैनिक भोजन में सम्मलित करना चाहिए। बीमारी में इम्युनिटी बहुत कम हो जाती है जिसे बढ़ाने के अतिरिक्त प्रयास करने चाहिए।





अपने दैनिक भोजन का एक शेड्यूल बना लेना और विस्तार से मेन्यू बना लेना उचित होता है। भोजन का टाइम टेबल बनाते समय पोषण के हर तत्व का ध्यान रखना चाहिए।


अपने भोजन की थाली में खाद्य पदार्थों का स्थान निश्चित कीजिये। खाद्य पदार्थ भी अपने महत्व के अनुसार ही थाली में रहना चाहते हैं। आइए देखते हैं कि किसको कितना स्थान थाली रूपी घर में चाहिए है। हम उनका क्रमवार महत्व देखेंगें ...


【 1 】  फल और तरकारी को अपने भोजन का सबसे बड़ा हिस्सा रहने के लिए दीजिये। प्रयास कीजिये कि आप जो भी फल या सब्जी खाएं वह विभिन्न रंगों की हो। आलू का स्थान शून्य कर देना उचित होगा। खासकर डायबिटीज के मरीजों को आलू की शर्करा से बचना चाहिए।



 【 2 】साबुत अनाज जैसे जौ, बाजरा, ज्वार, ब्राउन राइस, जई, मूँग का भोजन की थाली के एक चौथाई हिस्से का स्थान निश्चित करना चाहिए।


【 3 】थाली का एक चौथाई स्थान प्रोटीन को दिया जाना चाहिए। प्रोटीन वाली खाद्य सामग्री है : दाल, राजमा, पनीर आदि। अखरोट प्रोटीन का बहुत अच्छा स्त्रोत है। अखरोट हार्ट की बीमारी में भी फायदा करता है।


【 4 】 भोजन की थाली छठा हिस्सा अर्थात बहुत मामूली स्थान कुकिंग आयल को देना चाहिए। वेजिटेबल आयल चुनते समय ऑलिव ऑयल को चुनना अच्छा होता है। यदि ऑलिव ऑयल का स्वाद न पसंद हो तो कैनोला, सनफ्लॉवर , सोयाबीन का तेल चुनना चाहिए।


【 5 】 भोजन की थाली में दूध या दूध से बने पदार्थ को भी छठा स्थान देना चाहिए। 24 घण्टे में दो हेल्पिंग से अधिक नहीं लेना चाहिए।


【 6 】 शक्कर अर्थात मीठे का स्थान थाली में शून्य रखना चाहिए। जितना संभव हो अपने स्वीट टूथ को अपनी पकड़ में NO मोड पर रखना चाहिए।


【 7 】 कार्बोहाइड्रेट का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। उसका थाली में स्थान उसकी पौष्टिकता को देखकर करना चाहिए।



【 8 】 सबसे महत्वपूर्ण बात जो हमारी थाली में स्थान तो नहीं पाती किन्तु थाली के समानांतर महत्वपूर्ण स्थान पाती है, वह है हमारी सक्रियता। डॉक्टर की अनुमति से कुछ हल्की एक्सरसाइज अवश्य करनी चाहिए।


अब आइए दैनिक भोजन की RDA : Recommend Dietary Allowance के अनुसार समय सारणी बनाई जाये। क्वारंटाइन के पहले दो दिनों में प्रयास रहे कि पोषण का अधिकतम 50% हिस्सा ही खाया जाये जिससे शरीरउसके साथ तालमेल बिठा सके। तीसरे दिन 60% ,चौथे दिन 70% करते हुए सातवें दिन 100% पोषण भोजन में शामिल किया जाये। 


पोषण के अतिरिक्त कैलोरी इन्टेक का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है। इसका RDA द्वारा दिया गया चार्ट मैं साथ में दे रही हूँ ...

Non-obese person - 25 to 30 kcal per kg of actual body weight


Obese or Overweight person -  25 kcal per kg IBW or Adjusted BW


Underweight person - 25 to 30 kcal per kg Adjusted BW 


Fat requirement -  25 to 30 % of the total calories


Protein requirement - 1- 1.5  gm per kg of actual body weight


Zinc requirement - 30 mg

Vitamin C - 200 mg 

Vitamin D - 10 to 1000 mcg per day 

Vitamin E - 134 to 800 mg per day 

Vitamin A - whatever present in diet 


ये सभी micronutrients शरीर में T-cells और B-cells [ एंटीबाडी ] बढ़ाते हैं और कोरोना संक्रमण से रिकवरी में सहायक होते हैं।


इसके साथ RDA के अनुसार प्रतिदिन 30 gm प्रोटीन ONS के द्वारा दिया जाना भी इम्युनिटी बूस्टर का कार्य करता है।


खाने पीने के रूटीन को 7 हिस्से में बांट देना उचित और मरीज के लिए सुविधाजनक होता है।


मैं उदहारण स्वरूप एक तालिका/ टाइम टेबल आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ।


1 . सुबह जागने के पश्चात सबसे जरूरी हैं भीगे हुए 4 या 5 बादाम और 4 या 5 किशमिश। बादाम में मैग्नीशियम, कैल्शियम, फाइबर, प्रोटीन, विटामिन D और E, हेल्थी फैट और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक होता है। किशमिश में आयरन, विटामिन B कॉम्प्लेक्स, सेलिनियम और एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह भी इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक होती है। 


इसके बीस मिनट बाद चाय/कॉफी और 1 या 2 फीके बिस्कुट जैसे Britannia Marie / Britannia Nutri choice  Digestive biscuits 


2. Breakfast at 8 am 

पोहा/ उपमा/चीला/नमकीन सब्जी मिली सेवइयां/ इडली का एक मीडियम सर्व

साथ में हल्दी वाला दूध- एक कप 

अथवा 

एक कप दूध में अपना मनपसंद फ्लेवर का सिरप 


3. दिन में 11 बजे :

एक गिलास तेज गुनगुने पानी में एक tbsp नींबू का रस और एक आधा इंच गुड़ मिलाकर 



4. दोपहर 12:30 बजे लंच

हरी सब्जी जैसे तोरई/करेला/कद्दू आदि , दाल मूंग की, दही या दही खीरे का रायता, मल्टीग्रेन आटे की रोटी और ब्राउन राइस, सलाद में खीरा, गाजर व टमाटर 


5. शाम 4:30 या 5 बजे : 

चाय/कॉफी/ सूप के साथ भेल मूड़ी/ अंकुरित अनाज की चाट या एक या दो सूजी के अप्पे


6. रात 8 बजे डिनर 

पनीर की भुर्जी या सब्जी, हरी सब्जी, रागी या मल्टीग्रेन आटे की रोटी, सलाद में गाजर और टमाटर 


7. रात 10 बजे 

आधा कप हल्दी वाला गर्म दूध 


भोजन बनाते और खाते दोनों ही समय स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। तरल पदार्थ का इनटेक बनाए रखने से फायदा होगा।


आपकी सुरक्षा आपके अपने हाथ में है। नियमों का पालन कीजिये। मास्क पहनिए, सोशल डिस्टेंसिंग का नियम मानिये, अनावश्यक घर से बाहर मत निकलिये।


आप स्वस्थ रहेंगें तो वही आपका अपने परिवार को दिया जाने वाला सबसे बड़ा उपहार होगा।

Sunday, 11 April 2021

भंडारे वाले परवल आलू

अयोध्या निवासी होने के कारण आश्रम और मन्दिरों से भण्डारा का न्योता बहुत आता था। पूजा हवन के पश्चात शुद्ध शाकाहारी भोजन परोसा जाता था। बिना प्याज और लहसुन के भोजन बनाना आज की युवा पीढ़ी के लिए घोर अचरज की बात होती है। यह भण्डारे का भोजन विश्वास कीजिए बिना प्याज और लहसुन के ही बनता है और स्वाद में प्याज लहसुन की सब्ज़ी को बहुत पीछे छोड़ देता है।

आज से कुछ भण्डारे वाली सब्ज़ी की रेसिपी आपके साथ साझा करूँगीं। आपके पास दूसरा तरीक़ा हो तो कृपया कमेंट में साझा कीजिए।

परवल जिसे अंग्रेज़ी में Pointed gourd कहते हैं, स्वास्थ्य के लिए बहुत बढ़िया तरकारी मानी जाती है।परवल विटामिन A और C का बहुत बढ़िया स्त्रोत है। यह ऐंटीऑक्सिडंट का भी बेहतरीन स्त्रोत है। इनमें ट्रेस एलेमेंट्स : मैगनिशियम, पोटैशियम,कॉपर, सल्फ़र और क्लोरीन पाया जाता है।परवल का पानी आपरेशन वाले मरीज़ों को नारियल पानी की तरह ही दिया जाता है क्योंकि दोनों ही अपनी हीलिंग प्रॉपर्टी के लिए जाने जाते हैं। 

आज बनाते हैं भण्डारे वाले परवल आलू।

भण्डारे वाले आलू परवल की बेस चीज़ है मसाला। जब इतनी जरुरी चीज़ है मसाला तो क्यों न कुछ अतिरिक्त मेहनत कर ली जाए। स्वाद बढ़िया आयेगा यह मेरा विश्वास है।

हल्दी की एक आधे इंच की गाँठ लेकर एक घण्टे के लिए पानी में भिगो दीजिए।एक घण्टे पश्चात  साबुत लाल मिर्च, हल्दी और साबुत धनिया एक साथ बारीक पीस लीजिए। हरा धनिया बारीक काट लीजिए।

परवल और आलू काटकर पानी में भिगो दीजिए।

कड़ाही में तेल गर्म कीजिए। तेजपत्ता, बड़ी इलायची  और जीरा का तड़का देकर टमाटर डालिए और थोड़ा सा नमक मिला कर तब तो भूनिए जब तक कि तेल अलग न दिखाई देने लग जाए।अब इसमें आलू डालकर चार पाँच मिनट तक भूनिए। परवल डाल कर पाँच मिनट भूनिए। अब इसमें पिसा हुआ ताज़ा मसाला मिलाकर तब तक भूनिए जब तक कि किनारे से तेल न छूटने लगे। नमक मिलाइए। पानी मिलाकर धीमी आँच पर दस मिनट तक या मनचाहा गाढ़ापन आने तक पकाइए।

तड़का पैन में शुद्ध घी गर्म करके हींग डालिए और तैयार परवल आलू की सब्ज़ी में तड़का लगाइए।

परोसने से पहले हरा धनिया से सजाएँ।

Recipe at a glance :

Ingredients -

परवल   - 250 gm 

आलू  - 250 gm 

टमाटर  - 3 मध्यम आकार के 

साबुत लाल मिर्च - 3,4 

साबुत धनिया  - 3 tbsps 

हल्दी  - एक इंच की गाँठ 

तेजपत्ता - 2

बड़ी इलायची - 2

जीरा  - 1 tsp

तेल - 2 tbsps

हरा धनिया - 2  tbsps

शुद्ध घी - 2 tbsps

हींग  - एक चुटकी 

Method -

तेल गर्म करके तेजपत्ता, जीरा और इलायची गुलाबी कीजिए।

टमाटर डालकर थोड़ा सा नमक मिला कर तेल छूटने तक भूनिए।

आलू डालकर भूनिए।

जब आलू का रंग शीशे जैसा लगने लगे तो परवल डालकर भुनिए।

पिसा हुआ मसाला डालकर तब तक भूनिए जब तक तेल न छूटने लगे।

नमक मिलाइए।

पानी मिलाकर मनचाहा गाढ़ापन आने तक पकाइए।

शुद्ध घी गर्म करके हींग का तड़का बनाकर सब्ज़ी के ऊपर डालिए।

हरे धनिया से सजाइए और परोसिए।





रेसिपी आपको कैसी लगी यह बताना न भूलिएगा।

इस ब्लॉग को follow करके लेटेस्ट रेसिपी की सूचना पाइए।



Monday, 29 March 2021

गोभी के कोफ्ते

 

गोभी अमूमन सभी को पसंद होती है। आजकल तो पूरे साल गोभी बाजार में उपलब्ध रहती है। गोभी आलू और हरी मटर की सूखी सब्जी से लेकर गोभी मन्चूरियन तक अनेक रूप में गोभी बनाई और खाई जाती है। 

आज हम बना रहे हैं गोभी के कोफ्ते जिसमें बाइंडिंग के लिए लगभग गोभी के वजन के बराबर उबले,कद्दूकस किये आलू मिले हैं और कुरकुरापन लाने के लिए कॉर्नफ्लोर मिलाया गया है। अब कोफ्ता है तो कुछ तीखापन भी अच्छा लगता है। जिसके लिए बारीक कटी हरी मिर्च और अदरक भी मिली है। अदरक गोभी से बनने वाली गैस से राहत दिलाती है।

ग्रेवी बनाते समय तड़के में तेजपत्ता, लौंग, काली मिर्च, जायफल, जावित्री, दालचीनी, बड़ी और छोटी इलायची पड़े हैं। प्याज धीमी आँच पर भूना गया है जिससे प्याज की मिठास बरकरार रहे और वह हल्के सुनहरे रंग का फ्राई हो जाये। इसमें टमाटर को कद्दूकस करके डाला गया है और नमक मिलाकर, ढ़ककर भूना गया है।

अब आइए जरा सामग्री पर नज़र दौड़ायें ...

सामग्री :-
【 कोफ्ते के लिए 】

गोभी         - 2 कप कद्दूकस की हुई
आलू         - 3 उबले और कद्दूकस किये हुए
कॉर्नफ्लोर   - 2 से 3 tbsps 
हरी मिर्च     - 2 या 3 बारीक कटी हुई
अदरक       - 1/2 इंच , बारीक कटी हुई
गरम मसाला - 1/2 tsp
नमक          - स्वादानुसार
रिफाइंड या सरसों का तेल तलने के लिए

ग्रेवी के लिए 】

प्याज             - 2 , मध्यम आकार के, बारीक कटे हुए
टमाटर।          - 1 बड़ा, बारीक कद्दूकस किया हुआ
तेजपत्ता         - 1
लौंग              - 2
काली मिर्च     - 3 दाने
जीरा             - 1/4 tsp
हरी इलायची   - 2
बड़ी इलायची  - 1
दालचीनी        - 1/2 इंच का टुकड़ा 
जायफल।       - एक चुटकी पाउडर 
जावित्री          - 1 धागा 
अदरक लहसुन का पेस्ट - 1 tsp
कश्मीरी मिर्च पाउडर     - 3/4 tsp
हल्दी                         - 3/4 tsp
लाल मिर्च पाउडर         - 1 tsp या स्वादानुसार
नमक - स्वादानुसार
सरसों का तेल - 2 tbsp
गरम पानी - 2 कप 

बारीक कटा हरा धनिया ऊपर से सजावट के लिए

विधि :-
ग्रेवी तैयार कीजिये।

सरसों का तेल गरम कीजिये।
तेजपत्ता, लौंग, काली मिर्च,लौंग, इलायची ( दोनों) , जीरा, जायफल, जावित्री को तड़का लें।
प्याज डालिये और धीमी आँच पर सुनहरा कीजिये। 
अदरक लहसुन का पेस्ट डालकर एक मिनट भूनें।
टमाटर और नमक मिलाकर भूनिये।
जब तेल छूटने लगे तो कश्मीरी मिर्च,हल्दी व लाल मिर्च मिलाकर भूनिये।
पानी मिलाकर मनचाहा गाढ़ापन आने तक पकाइए।

अब कोफ्ते बनाइये ...



गोभी, आलू, गरम मसाला, हरी मिर्च, अदरक, नमक व कॉर्नफ्लोर को अच्छी तरह मिलाइये।
आप चाहें तो बारीक कटा हुआ हरा धनिया भी मिला लीजिए।
एकदम आटे जैसा चिकना गूँध लीजिये।
इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियाँ या लंबे आकार के रोल बनाइये।
तेल गरम कीजिये।
आँच धीमी रखकर कोफ्ते सुनहरे तल लीजिये।



पेपर नैपकिन या किचन पेपर टॉवल पर निकालिये।

सर्विंग के लिए ...
डिश में कोफ्ते अरेंज कीजिये।
ऊपर से ग्रेवी डालिये और हरा धनिया सजाइये।




फुल्के या नान के साथ परोसिये।