Saturday, 21 November 2020

फरे

भारत विभिन्न प्रदेशों के भांति-भांति के व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है। भारतीय व्यंजनों को देश विदेश सभी जगह बहुत पसंद किया जाता है।अधिकांशतः हमारे व्यंजन हमारे खेती और उत्सवों से जुड़े होते हैं। विभिन्न उत्सवों का हम बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्योंकि गाना बजाना, खूबसूरत सजीले वस्त्र
और पकवान पूरा करते हैं इन उत्सवों को। 

अक्टूबर आखिर या नवम्बर के प्रथम पंद्रह दिन के भीतर नया धान खेतों से उपहार में किसान हमें  देते हैं। चावल का आटा पिस कर आता है। धान के प्रसाद के रूप में चावल के आटे से करवा चौथ वाले दिन फरे बनाये जाते हैं। धान निरंतरता, प्रकृति की खुशहाली का प्रतीक है जो अजर अमर है। यही भाव करवा चौथ पर बनाये जाने वाले चावल के आटे के फरों के नेपथ्य में निहित होता है।

मेरी अम्माँ के हाथ के बने फरे मुलायम व विशिष्ट स्वाद वाले होते हैं। आज उन्होंने मुझे फरे बनाने सिखाये जिसे मैं आप सबके साथ साझा कर रही हूँ।

आइये हम भी फरे बनायें ...

Ingredients :-

चावल का आटा  - 250 gm

चने की दाल      - 125 gm

उड़द की दाल    - 125 gm

अदरक             - 50 gm या स्वादानुसार

हरी मिर्च           - 5,6 या स्वादानुसार 

हरी धनिया        - 1 tbsp बारीक कटी 

लाल मिर्च पाउडर - 1/4 tsp या स्वादानुसार

धनिया पाउडर      - 1 tsp या स्वादानुसार

सौंफ पाउडर          - 1 tsp से थोड़ा अधिक 

नमक                  - स्वादानुसार

Method :- 

रात भर चने और उड़द की दाल धोकर भिगो दीजिये।

सुबह पानी हटा कर दोनों दाल पीस लीजिये।

अदरक और हरी मिर्च को एक साथ पीस लीजिये।

उड़द की दाल 

                                                चने की दाल 


                                अदरक व हरी मिर्च का पेस्ट 


अब चावल के आटे में नमक मिलाइये और गर्म पानी की सहायता से आटा गूँध लीजिये।

दोनों पिसी दाल ,अदरक हरी मिर्च का पेस्ट, लाल मिर्च, धनिया पाउडर, सौंफ पाउडर और नमक मिलाइये।




बड़ी कढ़ाही में पानी उबलने के लिए रखिये।


पानी में नमक , हींग और शुद्ध घी डालिये और पानी में उबाल आने दीजिये।

अब फरे बनाना शुरू कीजिए।


हथेली पर हल्का सा रिफाइंड या शुद्ध घी लगाकर आटा फैलाइये। 

बीच में दाल का मिश्रण रखिये और आटे के दोनोँ किनारों को आपस में जोड़ते हुए ब्रेड रोल जैसा आकार दीजिये और उबलते पानी में धीरे से स्लाइड कर दीजिए।

सभी फरे पानी में डालकर मध्यम आंच पर उबलने दीजिये।


जब फरे अपने आप उबल कर ऊपर तैर आयें तो उन्हें पलट दीजिये।

पांच मिनट बाद बड़ी खुली थाली या बर्तन में निकालकर ठंडा होने रख दीजिए।


ठंडे हो गए फरे प्लेट पर निकालें।


ठंडे हो गए फरों के मनपसंद मोटाई के डम्पलिंग काट लीजिये।



अब फ्राइंग पैन में शुद्ध घी डालें और जीरा तड़काएँ।

इसमें फरे के डम्पलिंग डालकर शॉलो फ्राई कर लें।


फरे स्वाद लेने के लिए तैयार हैं।

हरी चटनी , गुड़ के आम के अचार के संग खाइये और खिलाइए।


बस एक ही आग्रह है कि रेसिपी आपको कैसी लगी यह बताना न भूलिएगा।

सम्भव हो तो मेरे ब्लॉग को फॉलो कर लीजिए।

Monday, 9 November 2020

मटर चटपटी



लखनऊ की चाट बहुत मशहूर है। करारी आलू की टिक्की जो सादी और भरी हुई दो तरीके से यहाँ तैयार की जाती है। भरी हुई टिक्की में उबली सफेद मटर भरी जाती है, कई बार पुदीने के साथ अदरक और विभिन्न मसालों का मिश्रण भरा जाता है। चौक में खास तौर पर सोंठ वाली टिक्की भी मिलती है जिसे पारंपरिक चाट के कद्रदान बेहद पसंद करते हैं। गोलगप्पों का जिसे कहीं बताशा तो कहीं फुल्की कहा जाता है खास मसालों वाले पानी से भरे हुए और मटर, दही व इमली की चटनी के साथ बनाये जाते हैं। आजकल तो गोलगप्पों में भरा जाने वाला पानी बारह-तेरह तरीके से बनता है। चाट का ज़िक्र अधूरा रह जाता है सफेद मटर के बारे में बात किये हुए। सफेद मटर को रात भर भिगो कर सुबह नमक और पानी के साथ उबाली जाती है। इस उबली हुई मटर को अनेक तरीकों से तैयार करके परोसा जाता है। मटर में इमली की चटनी, खट्टी हरी चटनी और दही डालकर, मटर में सिर्फ हरी चटनी, दही और टूटे हुए गोलगप्पे डालकर, शुद्ध घी में करारी सेंक कर दही, चटनी और टूटे गोलगप्पों के साथ, घी में करारी सेंकी हुई मटर में इमली की खट्टी मीठी चटनी , हरी चटनी, मूली के साथ।

आज मैंने घर में बनाई है मटर। मेरी विधि थोड़ी अलग है जो मेरी माँ की अपनी इजाद की हुई रेसिपी है। उनकी मटर की ख़ासियत है कि वह इसमें घी या तेल का प्रयोग बिलकुल भी नहीं करती हैं। उनकी यह मटर सुबह के ब्रेकफ़ास्ट में कुरकुरारे टोस्ट के साथ, शाम की चाय पर मठरी के साथ और भोजन में लाल सिंके पराठों के साथ हम खाते हैं।

इस मटर को बनाने के लिए इसे सिर्फ नमक के साथ उबाला जाता है और मसाले मिलाये जाते हैं। जिसमें सोंठ की इमली वाली खट्टी मीठी चटनी मिलाई जाती है। हरी धनिया की पत्तियाँ इसकी खूबसूरती और स्वाद का भीनापन बढ़ा देती हैं। हमारे घर में कुछ लोग इसके ऊपर मूली के लच्छे डालकर भी खाना पसंद करते हैं।

आइये बनाते हैं सफेद मटर मेरी माँ की स्टाइल वाली ....

Ingredients :-

सफेद सूखी मटर     - 1 कप 

भुना जीरा पाउडर   - 2 tsps

धनिया पाउडर        - 2 tsps

लाल मिर्च पाउडर    -1/2 tsp या स्वादानुसार 

काला नमक            - 1/2 tsp

नमक                     - मटर को जांच कर जितना कम हो उतना बढ़ा लें 

अदरक                    - 1 tsp, बारीक कटी हुई 

हरी मिर्च                  - 1 बारीक कटी हुई 

मूली                         - 2 tsps, optional

इमली की चटनी         - 2 tbsps, गुड़,सोंठ से बनी खट्टी-मीठी चटनी , स्वादानुसार एडजस्ट करें 

Method :-

मटर को धुलकर रात भर भिगो दें।

पानी हटाकर दूसरा पानी और स्वादानुसार नमक डालकर कम से कम 5 से 7 सीटी देकर उबाल कर ठंडा होने दें।

गुनगुनी रह जाने पर जीरा पाउडर, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर, काला नमक, यदि आवश्यकता हो तो सादा नमक, अदरक, हरी मिर्च और सोंठ वाली इमली की चटनी मिला दें।

बारीक कटा हरा धनिया डालें।



Ways to serve :-

1. मटर को जिस तरह बनी है वैसी ही सर्व करें।

2. मटर के ऊपर मूली डालकर सर्व करें।

3. शुद्ध घी में मटर को भून कर ऊपर से टूटे हुए गोलगप्पे या पतली वाली पापड़ी तोड़कर डालकर सर्व करें।

दोस्तों बनाइये मटर और खाइये - खिलाइए।

सम्भव हो तो मुझे बता दीजियेगा कि आपको कैसी लगी।

फिर से रिक्वेस्ट कर रही हूँ कि मेरे ब्लॉग को अधिक लोगों तक गूगल पहुँचा सके इसके लिए इसे follow अवश्य कर लीजिए।

Saturday, 7 November 2020

इंस्टेंट गुलाबजामुन

 


“ दीपावली की मीठी शुरुआत ”

देसी मिठाइयों का कोई मुकाबला नहीं होता। जलेबी,इमरती,गुलाबजामुन, कालाजाम,चमचम,रसगुल्ला, मालपुआ,गुझिया आदि अधिकांश लोगों की पहली पसंद होती है।

परंपरागत तरीके से मिठाइयों का बनाया जाना ही उचित होता है क्योंकि उसकी विधि के हर स्टेप के पीछे कुछ न कुछ तर्क़ जुड़ा होता है। वह विशेष बात ही पकवान के स्वाद को न केवल बढ़ाता है बल्कि उसकी पौष्टिकता को भी काफी हद तक नियंत्रण में रखता है।

आजकल आपाधापी के दौर में सबसे पहले तो इतनी फ़ुरसत नहीं होती कि बाजार जाए और हर सामग्री लाये। दूसरे कभी-कभी सामान आ गया तो बनाने की फ़ुरसत नहीं मिलती। शायद यही वजह रही होगी कि “ इंस्टेंट ” शब्द व्यंजनों के साथ भी जुड़ गया। पारंपरिक सामग्री को छोड़कर शार्ट कट के लिए अनेक चीजों के साथ प्रयोग शुरू हुए जो पारंपरिक व्यंजन का हूबहू नहीं तो काफी स्वाद व रूप-रंग की नकल बनाने में सफल रहे।

आज मैंने पारले जी बिस्कुट से गुलाबजामुन बनाये। कुछ लोगों ने खाया और तारीफ भी की।

आपको सामग्री और विधि बता देती हूँ जिसे आप चाहें तो बना कर देखिएगा।

Ingredients :-

पारले जी बिस्कुट  - 130 gm

मिल्क पाउडर       - 1 tbsp

दूध                        - आवश्यकतानुसार 

शुद्ध घी                  - तलने के लिए

शक्कर                   - 3/4 कप

पानी                       - 3/4 कप

इलायची पाउडर     - 1/4 tsp


Method :-

शक्कर और पानी से दो तार की चाशनी बना लीजिए।



गैस बंद करके इलायची पाउडर डाल दीजिए।

पारले जी बिस्कुट को मिक्सी में पाउडर कर लीजिए।

चलनी से छान कर यदि कोई टुकड़ा रह गया हो तो उसे वापस दुबारा पीस लीजिये।

बिस्कुट पाउडर में मिल्क पाउडर मिलाइये।



रूम टेम्परेचर पर आ गए दूध से सख़्त आटा गूँधइये।



छोटी गोलियाँ  एकदम चिकनी बना लीजिए।



घी गरम कीजिये।

मध्यम आँच पर गोलियाँ सुनहरी फ्राई कीजिये।

गोलियों के सुनहरा हो जाने पर घी से निकाल कर चाशनी में डुबाइये।



दो से तीन घण्टे ढ़ककर रखिये।



सर्व करने से पहले माइक्रोवेव में गर्म कर लीजिए।

बस मेरे ब्लॉग को फॉलो करना नहीं भूलिएगा।

हो सके तो बताइयेगा रेसिपी आपको कैसी लगी।

Tuesday, 6 October 2020

बालूशाही


पूजा पाठ हो या ब्याह मुण्डन जनेऊ किसी भी अवसर पर मिठाई का अपना महत्व होता है। कुछ मिठाई ऐसी होती हैं जो हर उत्सव में खासतौर पर बनाई जाती हैं जैसे लड्डू, गुलाबजामुन, कालाजाम, बालूशाही, काजू कतरी, तिरंगी बर्फी आदि। यह सभी काजू कतरी को छोड़कर देसी मिठाई की श्रेणी में आती हैं।

आज बनाते हैं बालूशाही जिसके लिए बहुत अधिक सामग्री की आवश्यकता भी नहीं होती।

Ingredients :-

मैदा              - 2 कप

पानी             - 1/2 कप

शुद्ध घी          - 1/2 कप , पिघला हुआ
नमक             - 1/2 tsp

बेकिंग पाउडर  - 1/2 tsp

तलने के लिए शुद्ध घी 

शक्कर            - 2 कप 

पानी                - 1 कप

पिसी इलायची   - 1/4 tsp

केसर                - 3,4 धागे 1 tsp पानी में भीगे हुए 

पिस्ता               - 5,6 बारीक कटा हुआ, सजावट के लिए 

Step I

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शक्कर और पानी से गाढ़ी चाशनी , कम से कम तीन तार की, बना लीजिए।

नींबू का रस मिलाइये और कम से कम 3,4 मिनट उबलने दीजिये।नींबू का रस शक्कर वापस क्रिस्टल न बन जाये इसलिए डाला जाता है।

गैस बंद करके ठंडा होने दीजिए।

गुनगुनी गर्म रह जाने पर इलायची और केसर पानी सहित मिला लीजिए।

Step II

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मैदे में नमक और बेकिंग पाउडर मिलाइये।

नमक मैदे के स्वाद को दबाने के लिए डालते हैं।

घी डालकर मिलाइये।

हाथ से बहुत अच्छी तरह रगड़ कर मोयन कीजिये।

मैदा जब खिल जाये तब पानी डालकर मैदे को जोड़ लीजिये।

मैदा को गूँधना नहीं है।

अब जुड़े हुए मैदे को ढ़ककर 20 मिनट के लिए रख दीजिए।

हाथ से मैदे को थपथपा कर रोटी जैसा बड़ा कीजिये।

चाकू से बीच से दो हिस्से में काट दीजिये।

दोनों पीस एक दूसरे के ऊपर रखकर फिर थपथपा कर बड़ा कीजिये और चाकू से काटकर चार टुकड़े करके एक दूसरे के ऊपर रखिये और हाथ से थपथपा कर फिर से बड़ा कीजिये।

अब फिर बड़े पीस को चार हिस्से में काट कर एक दूसरे के ऊपर रखकर थपथपा कर बड़ा कीजिये।

रोटी को रोल करके ढ़ककर 10 मिनट तक रखा रहने दीजिए।

अब रोल को फिर से परात में आटे जैसा गोला बना लीजिए।


इसमें से छोटी-छोटी लोई तोड़ लीजिये।

लोई को हथेलियों से बहुत हल्का प्रेशर देते हुए एक चपटी गोली बनाइये।


बीच में अँगूठे से डिम्पल बनाने के लिए गड्ढा कर लीजिए।



Step III 

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तलने के लिए घी गरम कीजिये।

आँच धीमी रखिये।



मैदे की गोलियाँ डालिये।।

अधिक चलाइये मत।

सुनहरी होने तक तलें।

निकाल कर सीधे चाशनी में भिगोइये।

10 मिनट बाद हर गोली पलट दीजिये।

5 मिनट बाद निकालकर थाली में सेट होने के लिए अलग-अलग रखिये।

डिंपल पर पिस्ता सजाइये।

दो से तीन घण्टे बाद सर्व कीजिये।



बनाइये, खिलाइए और खाइये।

साथ ही अपनी राय बताइए।

संभव हो तो मेरे ब्लॉग को follow कर लीजिये।

Monday, 5 October 2020

ढाबा स्टाइल पनीर : neeta’s special




 

पनीर           - 300 gm

प्याज          - 3 मध्यम आकार के, बारीक कटा

टमाटर         - 3 मध्यम आकार का, कद्दूकस किय

दही             - 1/2 कप , हल्का फेंटा हुआ

अदरक         - 1 इंच बारीक कटी

हरी मिर्च        - 1 या 2 बारीक कटी 

लहसुन          -  6,7 कली,  बारीक कटा 

तेजपत्ता         - 1

दालचीनी        - 1 टुकड़ा

लौंग               - 5,6

काली मिर्च       - 5,6

बड़ी इलायची    - 1

छोटी इलायची   - 4,5

जीरा                - 1/2 tsp

लाल मिर्च सूखी  - 2 या 3

धनिया पाउडर    -  3 tsps

कश्मीरी लाल मिर्च -  1 tsp

लाल मिर्च             - 1 tsp

भुना जीरा पाउडर   - 1 tsp

बेसन                    - 2 tsps

हल्दी                   - 1/4 tsp

भुनी हुई कसूरी मेथी - 1 tsp 

शुद्ध घी                    - 1 tbsp

रिफाइंड ऑयल          - 2 tbsps


पनीर को थोड़ा बड़े टुकड़ों में काट लें।

रिफाइंड ऑयल गरम करके पनीर के टुकड़ों को गुलाबी तल लें और नमक मिले पानी में भिगो दें।



कड़ाही में शुद्ध घी डालें और खड़े मसाले डालकर तड़का तैयार करें , फिर उसी में बचा हुआ रिफाइंड ऑयल भी डाल दें।




धीमी आंच पर प्याज डालकर सुनहरा भूनें जिससे प्याज का मीठापन उभर आये।






अदरक हरी मिर्च, लहसुन डालकर दो मिनट भूनें।








टमाटर डालें और साथ ही नमक डालें जिससे टमाटर का रंग निखर आये।



अच्छी तरह भूनने के बाद जब तेल छूटने लगे तो सारे सूखे मसाले बेसन के साथ डालकर अच्छी तरह 2 मिनट तक भूनें।

अब आँच एकदम धीमी करके इसमें दही मिलाएँ और लगातार चलाते हुए भूनें नहीं तो दही फट जाएगा।



जब तेल एकदम बाहर दिखाई देने लगे तो गरम मसाला और कसूरी मेथी डालें और चलाकर थोड़ा सा पानी डालकर भूनें।


जब तेल छूटने लगे तो 11/2 tbsps पानी और मिलायें और चलाते हुए भूनें।


जब तेल छूट जाए तो पनीर के टुकड़े डालें और मिला दें और एकदम धीमी आंच पर ढककर पकायें।



दो मिनट बाद चेक करें, जब तेल ऊपर आ जाये तो गैस बंद कर दें।



आपका ढाबा स्टाइल पनीर : neeta's special तैयार है।

अपनी राय से अवगत करवाना नहीं भूलिएगा।

सम्भव हो तो ब्लॉग को follow कर लीजिए।

चने की घुघरी


         चना स्वास्थ्य के लिए बेहतरीन अन्न माना जाता है। चना गुड़ सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला चबैना है। कोई बाहर से थका मांदा आये तो पानी के साथ गुड़ चना खाने को दिया जाता है।

        काला चना फोलेट्स, फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, कॉपर, आयरन और फॉस्फोरस से भरपूर है। ये त्वचा के लिए फायदेमंद है। इसके साथ ही चने के पानी से चेहरा धोने से चेहरे पर चमक आती है। काला चने से शरीर को उर्जा मिलती है।

         फाइबर से भरपूर काला चना पाचन क्रिया के लिए विशेष फायदेमंद होता है। रात में भिगोकर रखे गए चने को खाने से कब्ज की समस्या में लाभ मिलता है। साथ ही जिस पानी में चने को भिगोया गया हो उस पानी को फेंकने के बजाय पीने से भी फायदा होता है।

         काले चने में आयरन होता है जो अनीमिया को रोकने में सहायक होता है।

           काला चना एंटीऑक्सिडेंट्स, एंथोसायनिन, फाइटोन्यूट्रिएंट्स और एएलए से भरपूर होता है, जो हृदय रोग की समस्याओं को दूर करके स्वस्थ रक्त वाहिकाओं को बनाए रखने और ऑक्सीडेटिव तनाव से निपटने में सहायक होता है।  

          काला चना फोलेट और मैग्नीशियम का भी एक अच्छा स्रोत है, जो दिल के दौरे और स्ट्रोक के खतरे को कम करने में सहायता करता है।

           काले चने में घुलनशील फाइबर होता है और यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है। काला चना एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और  ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने में मदद करता है।

            चना डायबिटीज कंट्रोल करता है। काले चने में मौजूद कार्बोहाइड्रेट धीरे-धीरे पच जाते हैं जिसके कारण ब्लड शुगर के स्तर को कम किया जा सकता है।

              कुल मिलाकर गरीब की मेवा होता है काला चना। भाड़ में भुने चने हों या आलू चने की सब्जी हो या चाय के साथ के लिए चनाजोर गरम हो अथवा चने की घुघरी हो सभी अलग-अलग बेजोड़ स्वाद वाले व्यंजन हैं। चने के सत्तू से बना पराठा न जाने कितनों की सुबह के नाश्ते की पहली पसंद है। चने से बना बेसन तो हर रसोई की शान है।

चलिए आज बनायें घुघरी।
सबसे बेसिक रेसिपी है ये।
घुघरी बनाइये और साथ में एक कुल्हड़ चाय ले लीजिए , निश्चित जानिए आनंद आ जायेगा।

Ingredients :-

चना                   - 3/4 कप
प्याज                  - 3  मध्यम आकार के 
लहसुन                - 7,8 कली
हरी मिर्च              - 3,4
अदरक                 - 1 इंच टुकड़ा 
सूखी लाल मिर्च      - 2 मध्यम आकार की
अजवायन             - 1 tsp
हींग                      - 1/4  tsp   
नमक                    - स्वादानुसार    

Step I
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दो प्याज छीलकर पतले लंबे काट लीजिये।
लहसुन, अदरक व हरी मिर्च बारीक काट लीजिये।
चने का पानी छानकर निकाल दीजिये।
कुकर में चना डालिये और 1/2 tsp नमक मिलाइये तथा चने पर इतना पानी डालिये जो 5,6 सीटी आने तक सूखे और उसे मध्यम आँच पर रखिये। 5,6 सीटी आने के बाद गैस बंद कर दीजिए।

Step II
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गरम कढ़ाई में सरसों का तेल डालिये।
हींग, अजवायन और सूखी साबुत लाल मिर्च का तड़का दीजिये।
लहसुन डालिये और गहरा गुलाबी भूनिये।
अदरक और हरी मिर्च डालकर दो मिनट भूनिये।


चना डालिये और एक मिनट भूनिये।
धीमी आंच पर ढ़ककर दो मिनट पकने दीजिये।
नमक डालिये।
एक मिनट चला कर फिर 2 से 3 मिनट ढक कर पकाइए।
ढक्कन हटा कर अच्छी तरह चना 5,7 मिनट तक भूनिये।
आपकी घुघरी तैयार है।


सर्व करने के लिए साथ में गोल कटे प्याज के rings सर्व कीजिये।
अलग से हरे लहसुन की चटनी भी मिलाकर खाने में अच्छी लगती है।

आप अपनी राय से अवगत कराना नहीं भूलिएगा।
सम्भव हो तो ब्लॉग को follow कर लीजिए।

Monday, 28 September 2020

राजस्थान का तोहफ़ा : गट्टे की सब्जी








राजस्थान के व्यंजन अदभुत होते हैं जिन्हें मैं वास्तविक शाही भोजन मानती हूँ। सांगरी का साग मेरी सबसे प्रिय डिश है। वहाँ की प्याज की कचौड़ी , मसाला दाल , गट्टे की सब्जी आदि मेज को रौनक प्रदान करती हैं। 

आज बात करेंगें गट्टे की सब्जी की जो पारंपरिक ढंग से थोड़ा अलग हट कर मैं बनाती हूँ। ग्रेवी बनाने के लिए मैं प्याज टमाटर का प्रयोग करती हूँ। ग्रेवी में दही का प्रयोग करती हूँ रंग निखारने और स्वाद में एक टैंगी स्वाद लाने के लिए।

बेसन जितना अधिक स्वादिष्ट होता है उतना ही अधिक भारीपन देता है और गैस बढ़ाता है। बेसन के साथ थोड़ा खुला हाथ रखकर अदरक, अजवायन और मेथी का प्रयोग करती हूँ। बेसन के गट्टे की ख़ास बात होती है उसकी मुलायमियत या सॉफ्ट होना। बहुत सारे लोग सॉफ्ट गट्टे बनाने के लिए खाने वाला सोडा डालते हैं। मैं गट्टों को सॉफ्ट रखने के लिए शुद्ध घी/ देसी घी और दही का प्रयोग करती हूँ।

गट्टे का साइज छोटा ही सही माना जाता है किन्तु मैं थोड़ा बड़े साइज का गट्टा बनाती हूँ। गट्टे उबलने के लिए पानी में हल्का सा नमक मिलाती हूँ जिससे गट्टे के रोल फटे नहीं।

आइये तैयारी कर ली जाये। सारे काम को steps में बांट लीजिये। तीन चार बार बनाने के बाद हर स्टेप अपने आप याद आ जायेगी, आपको डायरी नहीं देखनी पड़ेगी।

Step I 
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Ingredients :-

बेसन              - 1 कप
नमक              - स्वादानुसार
लाल मिर्च        - 1/2 tsp 
हल्दी               - 1/4 tsp
गरम मसाला     - 1/2  tsp
अजवायन        - 1 tsp
मेथी दाना         - 1/4 tsp
जीरा               - 1 tsp , भुना हुआ
सौंफ               - 11/2 tsps
धनिया साबुत   - 2 tsps
कसूरी मेथी      - 2 tsps
शुद्ध घी            - 1 tbsp
रिफाइंड ऑयल - 1 tbsp
दही                 - 1/2 कप 
पानी                - आवश्यकतानुसार 

Method :-



धनिया, सौंफ, जीरा, अजवायन और मेथी दाने को मोटा कूट लीजिये।

कसूरी मेथी हल्की भूनकर दरदरी कर लीजिए।

बेसन में नमक, मिर्च, हल्दी, कुटा हुआ मसाला और कसूरी मेथी मिलाइये।

अब इस मिश्रण में घी और रिफाइंड मिलाइये। बेसन को रगड़ कर एकसार कर लीजिए।

बेसन में दही अच्छी तरह से मिलाइये।

अब आवश्यकतानुसार पानी का प्रयोग करते हुए आटा गूँध लीजिये। बेसन पानी सोखता है सो इस बात को ध्यान में रखते हुए दस मिनट बाद फिर से पानी की छींट डालते हुए बेसन गूँध लीजिये और ढ़क कर 20 मिनट के लिए रख दीजिए। 

20 मिनट बाद बेसन को फिर से 5 से 7 मिनट तक लगातार गूँध लीजिये।


अब अपनी मनपसंद साइज में बेसन के लंबे रोल जो आपके उबालने वाले बरतन में आ जायें बना लीजिए।

                   【 ओरिजनल साइज : गुुगल से 】


रोल के किनारों को एकदम फ्लैट रखियेगा जिससे कोई गट्टा बेडौल न दिखाई दे।


यहाँ ध्यान दीजिए चित्र में गट्टा रोल बीच-बीच में फटा हुआ है। इसे फिर से एक साथ करके गूँध कर नए रोल बना लेने चाहिए।

अब आती है बारी इन गट्टा रोल को उबालकर पकाने की।


एक बड़े और खुले मुँह के बरतन में पानी उबलने रखिये।
थोड़ा सा नमक डालना नहीं भूलिएगा।
पानी को उबलने दीजिये।


अब उबलते पानी में गट्टे के रोल डालिये।
आँच तेज ही रखिये।
गट्टों को अधिक हिलाइये मत।
जब गट्टे उबल कर पक जायेंगें तो स्वयं हल्के होकर ऊपर तैर आयेंगें।
ऊपर आ गए गट्टों के रोल को बड़ी थाली में निकाल कर ठंडा होने रख दीजिए।
यहाँ भगौने में जो पानी बचा है उसे जाली से ढ़ककर रख दीजिए क्योंकि वही पानी ग्रेवी बनाते समय प्रयोग में आएगा।

                    【 यह चित्र गूूूूगल से लिया है 】


मैंने इस तरह डबल मोटे साइज के गट्टे बनाये हैं।
इनको ठंडा करके गोल डम्पलिंग काट लीजिये।
मैं आपको पारंपरिक चित्र भी दिखाती हूँ जिसे मैंने गूगल से लिया है और जो मैं बनाती हूँ वह भी दिखाती हूँ।

                 【 चित्र गूगल से 】

अब वह चित्र जो मैंने बनाया है उन गट्टों के डम्पलिंग देखिए।




अब हो गयी मुख्य तैयारी।
अगली महत्वपूर्ण स्टेप है ग्रेवी का बनाया जाना।

Step II
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Ingredients :-

प्याज     - 2 मध्यम आकार के 
टमाटर    - 3 मध्यम आकार के
अदरक   - 1 इंच टुकड़ा
हरी मिर्च - 3,4 स्वादानुसार
नमक     - स्वादानुसार
गरम मसाला - 1 tsp
लाल मिर्च     - 3/4 tsp
हल्दी            - 1 tsp
धनिया पाउडर - 2 tsps
बड़ी इलायची - 1
तेजपत्ता        - 2
जीरा             - 1/2 tsp
हींग               - एक चुटकी 
मेथी दाना       - 1 tsp
कसूरी मेथी      - 2 tbsps
दही                - 1 tbsp
रिफाइंड ऑयल - 1 tbsp


प्याज को बारीक पीस लें। पानी का प्रयोग कम से कम करें। सम्भव हो तो न करें।




अदरक, हरी मिर्च और टमाटर को बारीक पीस लें।



कसूरी मेथी को गरम तवे पर 1 मिनट चला कर मिक्सी में पाउडर कर लें।
दही को फेंट कर चिकना कर लें।



दही में लाल मिर्च , हल्दी, धनिया पाउडर , कसूरी मेथी को मिलाकर ढक कर रख दें।




11/2  tbsps रिफाइंड ऑयल को गरम करें।
धीमी आंच पर कटे हुए गट्टों के डम्पलिंग को हल्का गुलाबी फ्राई कर लें।

यह हो गयी तैयारी। 
अब अंतिम चरण की ओर बढ़ते हैं।
गट्टों को तलने के बाद जो रिफाइंड ऑयल  बचा है उसी में आगे का कार्य करें।

Step III
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मध्यम आंच पर गरम तेल में हींग , जीरा , तेजपत्ता, इलायची और मेथी दाना डालकर तड़का तैयार करें और उसमें प्याज डालकर गुलाबी भूनें।





प्याज गुलाबी हो जाने पर टमाटर डालकर भूनें और साथ में नमक डालें। 
टमाटर भूनते समय नमक डालने से टमाटर का रंग बढ़िया उतरता है।


जब प्याज टमाटर से तेल छूटता दिखने लगे तो आँच एकदम धीमी करके दो मिनट और भूनें जिससे तेल एकदम छूट जाए।

इसमें दही और मसाले वाला मिक्सचर डालें और लगातार चलाते हुए भूनें। दही को चलाते हुए भुनने से दही छितरता नहीं है बल्कि उसका क्रीमी टेक्सचर आता है।
जब दही वाले मिश्रण से तेल बाहर दिखने लगे तो गट्टे डालें और दो मिनट हल्के हाथ से चलाएं।



अब जो गट्टों का उबला हुआ पानी रखा हुआ है उसे मिलायें।
नमक स्वादानुसार चेक करें क्योंकि पहले ही नमक का प्रयोग हो चुका है।




दो उबाल आने के बाद गैस बंद कर दें।




गरम मसाला व कसूरी मेथी डालें और दो मिनट के लिए ढ़क कर रखें।



गट्टे की सब्जी पेश होने के लिए तैयार है।


आपको रेसिपी कैसी लगी यह बताना नहीं भूलिएगा।
ब्लॉग को फॉलो न् किया हो कर लीजिए।

Monday, 21 September 2020

neeta’s special दाल



दाल भारतीय भोजन का अभिन्न अंग है। एक संतुलित भोजन की थाली दाल के बिना अधूरी होती है। हम विभिन्न प्रकार की दालों से समृद्ध हैं। इन सभी दालों को बनाने के तरीके भी बहुत सारे हैं। तड़के के बिना दाल अधूरी होती है। दाल में पड़ने वाले तड़के भी दाल के प्रकार के अनुसार अलग-अलग तरह के होते हैं। 


पारंपरिक रूप से दादी नानी के समय रसोई के जागने की शुरुआत ही दाल का अदहन चूल्हे पर चढ़ाये जाने से होती थी। बड़ी-बड़ी बटलोई / बटुली पर बाहर की तरफ से मिट्टी की परत लगा दी जाती थी तब अदहन चढ़ाया जाता था। लकड़ी की मद्धम आँच पर जब अदहन खौलने लगता तब उसमें नोन ( नमक ), हल्दी छोड़ी /डाली जाती। एक उबाल आने पर ढ़ेर सारा झाग किनारे आने लगता तब उसमें दाल छोड़ी जाती। ऊपर से ढ़क्कन लगा दिया जाता और आँच को धीमी रखने के लिए चूल्हे की लकड़ी को चूल्हे के मुँह के पास से , जिस पर बटुली चढ़ी होती, जरा किनारे खिसका दिया जाता। धीमी आँच पर दाल अपनी विशिष्ट सोंधास के साथ बनती थी। दादी हमेशा कहती जितना धीरज धर कर दाल पकने दी जाएगी तो उसमें स्वाद उतना ही उतरेगा।


धीरे-धीरे चूल्हे गैस में बदल गए। कुछ स्वाद उसके साथ चला गया। फिर समय की कमी के कारण शार्ट कट ढूंढ़ लिए गए जिनसे समय की बचत हो। इसने उस मूल स्वाद को एकदम ही उड़ा दिया। अब व्यंजनों से घी तेल मसाले सब कम से कम और कुछ में तो लोप ही होने लगे। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह ठीक भी है। 


दाल पकाते समय यदि गैस को धीमी रखा जाये और भरपूर समय दिया जाये तो काफी हद तक स्वाद को वापस लाया जा सकता है। शुद्ध घी का प्रयोग दाल के स्वाद को बढ़ाता है। एक बेहतरीन बना तड़का दाल में रौनक ला देता है।


आज बात करूँगी neeta's special दाल की। यह दाल बनाते समय मुझे कई प्रयोग अलग-अलग समय पर करने पड़े तब इसका स्वाद मुझे अपनी कल्पना के अनुरूप मिला। Source of inspiration रही दाल मखनी और शाही मसूर जिसके मिश्रित स्वाद को लाने का प्रयास मैंने किया।


उड़द को भारी दाल माना जाता है। राजमा भी high protein diet है। इसमें  साबुत काली उड़द, राजमा , मसूर, साबुत मूंग और चने की दाल मिक्स की। अनुपात रखा ...

उड़द - 1 कप

राजमा - 1/4 कप

मसूर - 1/4 कप

मूंग - 1/6 कप

चने की दाल - 1/6 कप 

इस अनुपात में दाल को मिक्स करके बोतल में भर कर रख लिया और आवश्यकतानुसार प्रयोग में लिया।


आइये बताती हूँ इसे बनाना कितना सरल है। सिर्फ यह बनाने में समय अधिक लेती है। जितना अधिक समय देकर इसे बनाया जाता है इसका स्वाद उतना ही निखरता जाता है। आँच हमेशा धीमी रखनी होती है और दम पर लगा कर यह बेहतरीन बनती है।


Ingredients :-

दाल मिक्स - 1 कप

नमक        - स्वादानुसार

हल्दी         - 1/2 tsp

मेथी दाना   - 1 tsp


प्याज      - 3 मध्यम आकार के, बारीक कटे 

टमाटर प्यूरी - 3 मध्यम आकार के टमाटर से बनी

अदरक       - 1 इंच टुकड़ा

हरी मिर्च     - 2 , अगर तीखी हो तो सिर्फ एक

जीरा          - 1/2 tsp

हींग           - 2 चुटकी या 1/4 tsp

शक्कर       - 1 tsp

कश्मीरी लाल मिर्च - 1 tsp

गरम मसाला - 1/2 tsp

तेजपत्ता      - 2

बड़ी इलायची -1

फ्रेश मलाई    - 1 tbsp, फेंटी हुई

कसूरी मेथी     - 11/2 tsp, हल्की भुनी हुई

शुद्ध घी    - 1 tbsp

मक्खन    - 1 tbsp

फ्रेश क्रीम - 1 tbsp


Method :-


Step I

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रात भर के लिए दाल को धोकर भिगो दें।

बनाने से पहले उसका पानी हटा दें।





कुकर में गरम पानी में दाल, हल्दी, मेथी और नमक डालकर 2 सीटी तेज आँच पर और 3 सीटी धीमी आँच पर दें। 



पानी दाल से 4 ऊँगली ऊँचा होना चाहिए।


Step II

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अदरक और हरी मिर्च बारीक पीस लें।

टमाटर को बारीक काट कर पीसें जिससे वह एकदम बढ़िया प्यूरी बन जाये।

प्याज को बारीक काट लें।

फ्रेश क्रीम और बटर को फ्रिज से बाहर कर लें।


Step III

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घी गरम करके जीरा, हींग, तेजपत्ता, इलायची डालें। 

जीरा गुलाबी हो जाने पर प्याज डालें और आँच धीमी रखें।

प्याज को गुलाबी भून लें।

अदरक हरी मिर्च का पेस्ट डालकर भूनें।

इसमें टमाटर की प्यूरी डालें और थोड़ा सा नमक डालें जिससे टमाटर का लाल रंग उतर आए।

टमाटर को घी छूटने तक भूनें।

इसमें शक्कर डालकर 10-12 सेकेंड भूनें।

अब इसमें फ्रेश मलाई डालकर तब तक भूनें जब तक मलाई टमाटर प्याज में सोख कर घी छोड़ दे।

अब कश्मीरी लाल मिर्च और गरम मसाला मिलायें।

दाल डालें।

नमक को चेक कर लें।

आवश्यकतानुसार गरम पानी मिलायें जिससे दाल पकाते समय पानी सूख जाने से जले नहीं।

धीमी आँच पर तीन सीटी दें।

जब कुकर की गैस निकल जाये तो ढ़क्कन खोलकर दाल अच्छी तरह चला दें।




अब 5,6 मिनट तक धीमी आँच पर कुकर के ढ़क्कन को हल्का खुला रखते हुए , बिना सीटी के, पकायें।

बीच-बीच में चलाती रहें।

कसूरी मेथी मिलायें।

गैस बंद कर दें।

Serving Options :-

1. घी में जीरा और लाल मिर्च का तड़का बना कर सर्व करते समय डालें।


2. 

सर्विंग डिश में दाल डालें।



ऊपर से फ्रेश क्रीम डालें।

मक्खन का पीस सेंटर में रखें।

सर्व करें।


यहाँ आपको एक टिप देना चाहूँगी।

अगर आपके पास कोरी परई है,  जिसे सकोरा कहते हैं, तो उसे गैस पर गरम करें जब वह लाल सी दिखाई देने लगे तो सर्विंग डिश में रखी दाल के ऊपर उसे पकड़ से कुछ ऊपर रखते हुए गरम खौलता हुआ शुद्ध घी उसके ऊपर से दाल पर डालें।

बाद में परई भी दाल में एक मिनट के लिए डाल दें।

परई हटाकर दाल सर्व करें।

Sunday, 20 September 2020

मटर की कचौड़ी का पाउडर


 सौंफ - 1 tsp ,  भूनकर पिसी हुई 

जीरा - 3/4 tsp , भूनकर पिसा हुआ

लाल मिर्च - 1/2 tsp या स्वादानुसार

हींग - एक चुटकी से अधिक , तवे पर हल्की भुनी हुई 

गरम मसाला - 1 tsp

सोंठ - 1/6 tsp ( ऑप्शनल )

काला नमक - 1/4 tsp ( ऑप्शनल )

नमक - स्वादानुसार 

मटर - 3 tbsps पाउडर 


सूखी हरी मटर को पीस कर बारीक पाउडर कर लीजिए।

छानकर यदि कोई दाना रह गया हो तो उसे फिर से पीस लीजिये।



हींग को गरम तवे पर हल्का भून लीजिये।

जीरा भूनकर पीस लीजिये।

बड़ी वाली सौंफ को गुलाबी भूनकर पीस लीजिये।

अब सभी सामग्री को 2 से 3 राउंड मिक्सी में पीस लीजिये।

कांच की धूप दिखाई हुई बोतल में भर कर रख लीजिए।


जब कचौड़ी या पराठा बनाना हो तो मात्र आधा घण्टे पहले गुनगुने पानी से भिगो दीजिये।

पानी उतना ही डालिये जितने में वह भीग जाए पर पानी ऊपर न दिखाई दे।

इसमें  भरते समय अपनी पसंद के अनुसार अमचुर पाउडर भी मिलाया जा सकता है।

आटा या मैदा गूँध कर इसी मटर की पीठी को भरिये और बेमौसम कचौड़ी या पराठा बना कर खाइये।

यदि समय से धूप दिखाते रहें और साफ सफाई से बोतल में बन्द करके रखें तो यह मटर का मसाला छह महीने तक एक्सपायर नहीं होता।


यहाँ आपसे एक चाय के साथ सर्व करने वाली मटर कचौड़ी का ज़िक्र करना चाहूँगी। 




इसकी फिलिंग में थोड़ा सा गुड़ कद्दूकस करके, अमचुर , किशमिश, बारीक कटी हुई हरी मिर्च और बारीक कटी अदरक भी मिलाइये।

अगर ताजी मटर की फिलिंग तैयार करें तो भी मसाले यही डालेंगें। बस मटर को पीस कर रिफाइंड में हींग जीरे का तड़का लगा कर पिसी मटर को खूब अच्छा गुलाबी रंग आने तक भूनें। मसाला , हरी मिर्च , अदरक और नमक मिलायें। गैस बंद करके गुड़ , अमचुर और किशमिश मिलायें। फिलिंग ठंडी हो जाने पर भरें।

अंत में वही पुराना आग्रह .... 

मेरे ब्लॉग को फॉलो कर लीजिये।

मुझे बताना न भूलिए कि ब्लॉग में दी रेसिपी आपके कितना काम आई।

नोट :- चित्र गूगल से आभार सहित।

Friday, 11 September 2020

बुकनू


 

बुकनू नाम ही काफी है मुँह में पानी आने के लिए। कानपुर का बुकनू प्रसिद्ध होता है। वर्षों पहले वह स्वाद कानपुर की लड़कियाँ जब ब्याह कर लखनऊ आईं तो रसोई के खास नुस्खे साथ ले आईं। तब से बुकनू लखनऊ वाला भी प्रसिद्ध हो गया।

हमारे लखनऊ कानपुर की तरफ बुकनू खाने का बड़ा रिवाज़ है। पूड़ी हो,पराठा हो,मठरी हो, बासी हो या ताजी हो बुकनू मौके-बेमौके खाया जाता है। अमरूद की फांक हो या केला अथवा सेब एक बार बुकनू से खा कर देखिए पसंद न आये तो कहिएगा।

आज बुकनू की याद दिलाई शम्भूनाथ शुक्ला सर ने। तिकोना पराठा और बुकनू सुबह ही सुबह भोग लगा रहे थे। कितने सारे लोग ( जो पक्का युवा पीढ़ी के ही होंगें ) हैरान थे बुकनू का नाम सुनकर।

यूँ तो पारंपरिक बुकनू बनाने में कुल 22 आइटम लगता है पर हम कुछ शार्ट कट के समय में कुल छह चीज से भी काम चला लेते हैं। मजबूरी कोरोना काल का है और कुछ सामग्री अमीनाबाद से लानी होती है जहाँ पैदल चलकर ही खरीदारी सम्भव है और विशेषता ये कि आपको खुद नहीं चलना है बल्कि भीड़ धक्के मार कर आपको चलाती रहेगी, फिर भले ही आपको जाना हो ईरघाट पर भीड़ की अति कृपा से पहुँच जाइयेगा मीरघाट।

शार्ट कट भी अभी बता देती हूँ। वक्त जरूरत काम आता है।

अमचुर              - 100 gm

सोंठ                  -  50 gm

सफेद मिर्च         -  50 gm

जीरा पाउडर        - 50 gm जीरा भूनकर पिसा हुआ

लाल मिर्च पाउडर  - 50 gm ( या स्वादानुसार )

हींग                     - 1 tsp

काला नमक          - 50 gm

सफेद नमक          - स्वादानुसार

सेंधा नमक            - 25 gm

सभी सामग्री अच्छी तरह मिलाकर एयर टाइट बोतल में भर लें।

जब मन करे खायें खिलायें।

अब आइये बात करें पारंपरिक बुकनू की जो दादी नानी बनाया करती थीं। 

जब हम पारंपरिक बुकनू की बात करते हैं तो दादी नानी की रसोई का मसालदान बहुत याद आता है। यह मसालदान लकड़ी का आयातकार बना हुआ था जिसमें चौकोर खाने थे। इन्हीं खानों में मसाले भरे रहते। प्रतिदिन के लिए छोटा और साप्ताहिक प्रयोग के लिए बड़ा मसालदान होता था। पत्थर की बरनी में खड़े मसाले रखे जाते थे। समय-समय पर उनको धूप दिखाना, हवा में परात में रखना आदि होता रहता।

ख़ैर ... मूल मुद्दा अब पहले। बुकनू बनाने में 22 सामग्री का गिनकर प्रयोग होता है। कुछ फ्राई की जाती हैं ,कुछ सूखी भूनी जाती हैं और कुछ सीधे मिलाई जाती हैं। चार स्टेप में बुकनू बनाने की प्रक्रिया पूरी होती है।

आइये कुछ सामग्री देख लें।




इसमें पड़ती है छोटी और बड़ी हर्र, बहेड़ा, पीपर, बायविरंग/वायविडंग , मरोड़ फली/केवण/कुपसी , सूखा आँवला, सोंठ, साबुत हल्दी आदि।

देसी घी का प्रयोग होता है तलने के लिए।

आँच चाहे तलते समय हो या भूनते समय धीमी रखी जाती है जिससे हर्र, बहेड़ा, हल्दी आदि जलें नहीं। जीरा आदि अच्छे से भुन जायें और उनमें सोंधापन आये।

मसालों को अच्छी तरह बीन-बिचार लीजियेगा।

बहेड़ा को तलने से पहले तोड़कर उसका बीज जिसे गुठली कहते हैं निकाल दीजियेगा।

बड़ी और छोटी इलायची के दाने निकाल लीजियेगा।

तलने के बाद ठंडा हो जाने पर खड़े मसालों को छोटे टुकड़ों में इमामदस्ते /खल्लड़ में तोड़ लीजियेगा और मिक्सी में पाउडर करने से पहले थोड़ा नमक साथ में अवश्य डाल लीजियेगा जिससे मसाला आसानी से बारीक हो जाये।


Ingredients :

1. छोटी हर्र       - 25 gm

2. बड़ी हर्र        - 25 gm

3. बहेड़ा           - 25 gm

4. पीपर            - 10 gm

5. बायविरंग       - 10 gm

6. मरोड़फली      - 10 gm

7. साबुत हल्दी    - 40 gm

8. बड़ी इलायची  - 5,6 इलायची के दाने

9. छोटी इलायची  - 10 , दाने निकले हुए

10.  सोंठ              - 20 gm

11. सौंफ मोटी     - 15 gm

12. जीरा             - 15 gm

13. अजवायन      - 15 gm

14. हींग               - 2,3 gm

15. लाल मिर्च       - स्वादानुसार

16. सफेद मिर्च      - 15 gm

17. सूखा आँवला   - 25 gm

18. अमचुर           - 200 gm / स्वादानुसार

19. काला नमक     - 75 gm

20. सेंधा नमक       - 25 gm

21. सादा नमक       - 125 gm / स्वादानुसार

22. देसी घी             - 1 tbsp


Method :


Step 1

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1 tbsp देसी घी को कढ़ाई में गर्म कीजिये। आँच धीमी रखिये।

सबसे पहले हर्र , बहेड़ा, सोंठ को हल्का लाल होने तक लगातार चलाते हुए फ्राई करें।

अब इसी घी में हल्दी लाल होने तक फ्राई करें।

यह सामग्री थाली पर फैला कर ठंडी होने दें।


2nd Step

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जीरा, अजवायन, हींग,सौंफ, बड़ी इलायची को हल्का भूरा होने तक भून लें और प्लेट पर ठंडा होने के लिए फैला दें।

पीपर, मरोड़फली को 3,4 मिनट तक भूने और प्लेट पर निकालें।

बायविरंग को 3 मिनट तक भूनकर प्लेट पर निकालें।

सूखा आँवला भूने।  2 से 3 मिनट बाद उसे भी प्लेट पर ठंडा होने के लिए रखिये।

अच्छा होगा यदि सूखी भुनाई के लिए भारी तले का बरतन प्रयोग किया जाए।


Step 3 

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जितने खड़े मसाले हैं उन्हें इमामदस्ते /खल्लड़ में छोटे टुकड़े कर लें।

अब उन्हें बारीक होने तक मिक्सी में पीस लें।

जीरा, सौंफ, हींग, अजवायन को पाउडर कर लें।

छोटी इलायची पाउडर कर लें।


Step 4 

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अब सब पाउडर किये मसाले, पिसी हुई छोटी इलायची का पाउडर, नमक, सेंधा नमक, काला नमक, लाल मिर्च पाउडर, जीरा, अजवायन वाला पाउडर और अमचुर बहुत अच्छी तरह मिला लें।

इस मिक्सचर को छान लें। शेष बचे मोटे मसालों को फिर से मिक्सी में चलकर छान लें। 

एक बार फिर से छाने हुए मसालों को एक साथ मिला लें।

आपका बुकनू तैयार है।




एयर टाइट बोतल में भरकर रखें।

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